नई दिल्ली। Tax Audit Deadline Extended: केंद्र सरकार ने कंपनियों और पेशेवरों को आयकर ऑडिट पूरा करने के लिए ज्यादा समय दे दिया है। अब वित्त वर्ष 2024-25 (असेसमेंट ईयर 2025-26) की आयकर ऑडिट रिपोर्ट 30 सितंबर 2025 की बजाय 31 अक्टूबर 2025 तक जमा की जा सकती है।
यह फैसला टैक्स विशेषज्ञों और उद्योग संगठनों की लगातार मांगों के बाद लिया गया है। उनका कहना था कि पहले की समयसीमा को पूरा करना मुश्किल हो रहा था। देश के कुछ हिस्सों में बाढ़ और अन्य परेशानियों के कारण काम धीमा हो गया, जबकि ई-फाइलिंग पोर्टल भी ठीक से काम नहीं कर रहा था।
टैक्स ऑडिट कराना किन्हें अनिवार्य है
सभी करदाताओं पर ऑडिट लागू नहीं होता। आयकर कानून में इसके लिए अलग-अलग नियम तय किए गए हैं। व्यवसायियों के लिए, अगर किसी कंपनी या व्यापार का टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है तो ऑडिट करना जरूरी है। अगर नकद लेन-देन कुल टर्नओवर का 5 प्रतिशत से कम हो तो यह सीमा 10 करोड़ रुपये तक बढ़ जाती है। प्रोफेशनल जैसे डॉक्टर, वकील, आर्किटेक्ट और कंसल्टेंट को भी ऑडिट कराना पड़ता है, अगर उनकी सालाना आय 50 लाख रुपये से ज्यादा है। जिनका नकद लेन-देन बहुत कम है, उनके लिए यह सीमा 75 लाख रुपये है। छोटे बिजनेस और प्रोफेशनल, जो कानून में तय की गई अनुमानित दर ( धारा 44एडी और 44एडीए के तहत) पर अपनी आय दिखाते हैं, उन्हें आमतौर पर ऑडिट से छूट मिलती है। लेकिन अगर उनका फायदा तय दर से कम हो या आय तय सीमा से ज्यादा हो, तो उन्हें ऑडिट कराना जरूरी हो जाता है।
टैक्स ऑडिट को लेकर गलतफहमियां
विशेषज्ञों के मुताबिक, कई करदाता ऑडिट के नियमों को गलत समझते हैं। उदाहरण के लिए, ‘डिजिटल लेन-देन’ में सिर्फ UPI या कार्ड पेमेंट नहीं आते, बल्कि बैंक ट्रांसफर और डिमांड ड्राफ्ट भी शामिल होते हैं। इसी तरह, अनुमानित टैक्स देने का मतलब यह नहीं कि हर हाल में ऑडिट से छूट मिलेगी। अगर लाभ तय सीमा से कम हो, तो ऑडिट करना जरूरी होगा। बार-बार अनुमानित कराधान और नियमित कराधान के बीच स्विच करने पर भी पाबंदियां लागू होती हैं और यह आगे के सालों में छूट को रद्द कर सकता है।
समय सीमा चूक जाएं तो क्या होगा
ऑडिट रिपोर्ट के बिना आयकर रिटर्न दाखिल करना अवैध है। अगर समय पर ऑडिट नहीं किया गया, तो कानून (धारा 271बी) के तहत 1.5 लाख रुपये तक या टर्नओवर का 0.5% तक जुर्माना लग सकता है। इसके अलावा, ब्याज और विलंब शुल्क भी देना पड़ सकता है। साथ ही, नियम नहीं मानने वाले मामलों की बाद में कड़ी जांच की जाती है।
समय सीमा बढ़ाना क्यों अहम है
CBDT के मुताबिक, 24 सितंबर 2025 तक 4 लाख से ज्यादा टैक्स ऑडिट रिपोर्ट जमा हो चुकी थीं, जिनमें से अकेले एक दिन में 60,000 से ज्यादा रिपोर्ट अपलोड हुईं। इसके बावजूद, एक महीने का समय बढ़ाना उन बिजनेस और प्रोफेशनल्स के लिए राहत की बात है, जो दस्तावेज तैयार करने और वैरिफिकेशन से जूझ रहे हैं।
करदाताओं को बड़ी राहत: कोटा व्यापार महासंघ
कोटा व्यापार महासंघ के अध्यक्ष क्रांति जैन एवं महासचिव अशोक माहेश्वरी बताया कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने करदाताओ को बड़ी राहत दी है। CBDT ने ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की तारीख 31 अक्टूबर तक बढ़ा दी है। पहले यह तारीख 30 सितंबर 2025 तय की गई थी। जैन व माहेश्वरी ने बताया कि 30 सितंबर तक व्यापारियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए उन्होंने इसकी तारीख बढ़ाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं केंद्र सरकार की वित्त मंत्री को पत्र भेज कर इस तारीख को आगे बढ़ाने का आग्रह किया था जिसे स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की तारीख बढ़ा दी है।

