जो दूसरों का पेट भरता है, उसकी पेटियां स्वयं भगवान भरते हैं: प्रज्ञासागर मुनिराज

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प्रज्ञालोक में भगवान पार्श्वनाथ मोक्ष कल्याणक महोत्सव 31 जुलाई को

कोटा। जैनाचार्य प्रज्ञासागर मुनिराज के सान्निध्य में भगवान श्री पार्श्वनाथ जी के मोक्षकल्याणक महोत्सव का आयोजन 31 जुलाई गुरुवार को प्रज्ञालोक परिसर, कोटा में हर्षोल्लास एवं गहन आध्यात्मिक वातावरण में संपन्न होगा।

अपने प्रवचन में आचार्य प्रज्ञासागर मुनिराज ने कहा कि भगवान पार्श्वनाथ मोक्षकल्याणक जैसे आयोजन धर्म प्रभावना का श्रेष्ठ माध्यम हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे बड़ी संख्या में जुड़कर इस पावन अवसर को सार्थक बनाएं। मंगलवार को अपने प्रवचन में दान और मोक्ष की महिमा पर सारगर्भित विचार व्यक्त किए।

प्रज्ञासागर ने कहा कि जो दूसरों का पेट भरता है, उसकी पेटीयां स्वयं भगवान भर देते हैं। खाने से जो सुख मिलता है, उससे 100 गुना अधिक आनंद किसी भूखे को भोजन कराने में है। अपने अनोखे और व्यावहारिक अंदाज में गुरूदेव ने समझाया कि जैसे पासपोर्ट से विदेश यात्रा संभव होती है, वैसे ही मोक्षमार्ग पर प्रवेश के लिए आत्मा को विशेष पात्रता चाहिए।

उन्होंने कहा मोक्ष का पासपोर्ट चाहिए तो जिनेन्द्र भगवान की पूजा करनी होगी और मुनिराजों को आहार देना होगा। गुरूदेव ने आगे कहा कि केवल पासपोर्ट से कुछ नहीं होगा, मोक्ष का वीज़ा चाहिए तो पिच्छी और कमंडल को जीवन में धारण करना होगा।

कृत्रिम सम्यक शिखर पर्वत का निर्माण
अध्यक्ष लोकेश जैन सीसवाली एवं चैयरमेन यतिश जैन खेड़ावाला ने बताया कि इस अवसर पर प्रज्ञालोक में भव्य कृत्रिम सम्मेद शिखर पर्वत का निर्माण किया गया है, जिसमें 20 तीर्थंकर भगवानों की टोंक बनाई गई हैं। सबसे ऊंचाई पर भगवान पार्श्वनाथ के चरण विराजमान होंगे। साथ ही कृत्रिम गंधर्व नाला भी श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगा।

शोभायात्रा में 24 पालकियाँ
महामंत्री नवीन दौराया ने बताया कि शोभायात्रा में 24 तीर्थंकर भगवानों की पालकियाँ, ध्वज, दीप, कलश, इंद्र-इंद्राणी तथा सौधर्म इंद्र परिवार भी शामिल रहेंगे। शोभायात्रा में मुख्य रथ में भगवान श्री पार्श्वनाथ विराजमान होंगे।

शांतिधारा व पांडू शिला पर अभिषेक
शोभयात्रा संयोजक कपिल आगम ने बताया कि शोभायात्रा के समापन उपरांत प्रज्ञालोक में निर्मित कृत्रिम सम्मेद शिखर पर्वत के स्वर्णभद्र कूट सहित अन्य सभी टोंकों पर भगवान का अभिषेक व शांतिधारा की जाएगी। तत्पश्चात संगीतमय पूजन आयोजित होगी और मुख्य 23 किलो 300 ग्राम का मुख्य निर्वाण लाडू अर्पित किया जाएगा।

अभिषेक एवं लाडू सजाओ प्रतियोगिता
सुबह 6:00 बजे लाल एवं सफेद जैन मंदिर में अभिषेक एवं निर्माण लाडू चढ़ाने की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। थाली व पांडू शिला सजाओ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया है, जिसके तहत भागीदार अपनी थालियों को सजा कर एक दिन पूर्व प्रज्ञालोक में जमा करवाएंगे।