कोटा। विभा श्री माताजी के पावन सान्निध्य में तलवंडी स्थित जैन मंदिर में बुधवार को सिद्ध चक्र महामंडल विधान का भव्य शुभारंभ हुआ।
अध्यक्ष अशोक पहाड़िया ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत श्रीजी के अभिषेक एवं शांतिधारा के साथ हुई, जिसके पश्चात समाज की महिलाओं ने धर्म ध्वजा लिए हुए घटयात्रा निकाली और पंडाल का शुद्धिकरण कर वातावरण को पवित्र बनाया।
महामंत्री प्रकाश समारिया ने बताया कि ध्वजारोहण का पुण्य श्रवण सरोज बड़जात्या परिवार को प्राप्त हुआ। कार्यक्रम की मांगलिक क्रियाएं, पूज्य पात्रों का चयन एवं विधान संचालन पंडित अभिषेक शास्त्री एवं बाल ब्रह्मचारी स्वतंत्र भैया के निर्देशन में विधिपूर्वक संपन्न हुआ
पूज्य माताजी के चरणों का पाद प्रक्षालन एवं जिनवाणी भेंट का पुण्य राजमल-तरुणता पाटौदी परिवार को प्राप्त हुआ, वहीं दीप प्रज्वलन का सौभाग्य रामरतन बरमुंडा ने प्राप्त किया।
भगवान नेमिनाथ के मोक्ष कल्याणक के पावन अवसर पर निर्वाण लड्डू चढ़ाने का पुण्य महावीर शाह परिवार को मिला।
महामंत्री प्रकाश सामरिया ने मुख्य कलश स्थापना की एवं स्वधर्म अशोक पहाडिया रहे और कुबेर, इंद्र, महावीर लुहाड़िया, महायज्ञ नायक, महेंद्र लुहाड़िया, यज्ञ नायक सुरेश हरसौरा, सनत इंद्र शांतिलाल बाकलीवाल, ईशान इंद्र विमल सेठी, महेन्द्र, दिनेश जैन रहे।
अपने मंगल प्रवचन में माताजी विभा श्री ने वैराग्य को जीवन की सबसे विलक्षण घटना बताते हुए कहा,“वैराग्य कोई साधारण बात नहीं, यह दिव्य अवसर तब आता है जब जीव के पुण्य उदय में श्रेष्ठ काल लब्धि का संयोग होता है।
भगवान नेमिनाथ ने जीवों की चीत्कार सुनकर, भगवान आदिनाथ ने नर्तकी की मृत्यु देखकर और भगवान बुद्ध ने वृद्धावस्था को देखकर संसार से वैराग्य ग्रहण किया। लेकिन हम सांसारिक जीव, जो प्रतिदिन मृत्यु, पीड़ा और परिवर्तन देखते हैं, फिर भी संसार के मोह से मुक्त नहीं हो पाते।”
माताजी ने अष्टानिका पर्व की महत्ता बताते हुए कहा कि यह पर्व सिद्धों की आराधना का श्रेष्ठ अवसर है। इस समय संयम, व्रत और तप से पापों का क्षय एवं पुण्य का वर्धन होता है। संयमित मन, वचन और काया से ही साधना सार्थक होती है।
कार्यक्रम के दौरान सिद्धों को मूल गुणों के आठ अर्घ समर्पित किए गए। संगीतमय स्तुतियों के साथ सैकड़ों श्रद्धालु भक्ति की रसधारा में डूबे नजर आए। भक्ति, सेवा एवं वैराग्य के भावों से सराबोर वातावरण में पुण्य लाभ अर्जित किया।

