कोटा। जैन धर्म के त्याग और तपस्या के सबसे बड़े पर्व दस लक्षण महापर्व का विधिवत शुभारंभ आज तलवंडी जैन मंदिर में हुआ। महामंत्री प्रकाश जैन ने बताया कि यह 10 दिवसीय तपस्या महापर्व श्रीजी के जिनाभिषेक, मंडल स्थापना एवं ध्वजारोहण के साथ प्रारंभ हुआ।
पहले अभिषेक का सौभाग्य मंदिर अध्यक्ष श्री अशोक जी पहाड़िया को प्राप्त हुआ, जबकि द्वितीय अभिषेक का सौभाग्य श्री रूपचंद जी एवं सीमा जी गुडवाला परिवार को मिला। ध्वजारोहण का कार्य प्रकाश जैन एवं सुनीता सामरिया परिवार द्वारा किया गया। हीरापुर से पधारे विद्वान श्री वीरेंद्र जी शास्त्री “भैया जी” ने सभी मांगलिक क्रियाएँ संपन्न कराईं।
भाजपा जिला अध्यक्ष राकेश जी ने मुख्य कलश स्थापना की। प्रवक्ता राजकुमार ने बताया कि श्रावकों की सुविधा हेतु मंदिर परिसर में तीन स्थानों पर पूजा की व्यवस्था की गई है। मंदिर समिति ने बेहतर प्रबंधन हेतु युवाओं की एक विशेष टीम बनाई है, जो न केवल सभी व्यवस्थाओं को देख रही है, बल्कि नए लोगों को भी जिम्मेदारियाँ देकर अधिक से अधिक सहभागिता सुनिश्चित कर रही है। श्री राजेश जी, पिंकेश जी, शुभम जी, सुदर्शन जी आदि ने व्यवस्थाओं को सफलतापूर्वक संभाला।
इस अवसर पर भैया जी ने अपने प्रवचन में कहा— “क्षमा वीरों का आभूषण है”। उन्होंने बताया कि क्षमा हर कोई नहीं कर सकता, यह केवल वीरों का गुण है। कायर की क्षमा का कोई महत्व नहीं होता। ध्वजारोहण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि महाभारत के युद्ध में भी श्रीकृष्ण ने धर्मध्वजा फहराई थी और अंततः धर्म की विजय हुई

