नई दिल्ली। जुलाई 2025 में आम लोगों की थाली एक बार फिर महंगी हो गई। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक खाद्य मूल्य सूचकांक में 1.6% की वृद्धि दर्ज की गई, जिसका मुख्य कारण वनस्पति तेल और मांस की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी रही।
राहत की बात यह रही कि अनाज, डेयरी और चीनी की कीमतों में गिरावट से बढ़ते दामों का दबाव कुछ हद तक कम हुआ, लेकिन रिपोर्ट चेतावनी देती है कि वैश्विक खाद्य बाजार अब भी अस्थिर है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इसका सीधा असर भारत की उपभोक्ता महंगाई (सीपीआई) और घरेलू थाली की लागत पर पड़ सकता है।
एफएओ के अनुसार जुलाई में वनस्पति तेल मूल्य सूचकांक 7.1% उछलकर 166.8 अंकों पर पहुंच गया, जो पिछले तीन वर्षों का उच्चतम स्तर है। पाम, सोया और सूरजमुखी तेल की बढ़ती कीमतों ने इस उछाल को गति दी। पाम तेल की कीमत लगातार दूसरे महीने बढ़ी, जबकि बायोफ्यूल सेक्टर की मांग ने सोया तेल को महंगा किया। मांस मूल्य सूचकांक भी 1.2% की वृद्धि के साथ 127.3 अंकों पर पहुंच गया जो अब तक का सर्वाधिक स्तर है।
पनीर बना अपवाद
डेयरी मूल्य सूचकांक 0.1% घटकर 155.3 अंक पर आ गया। ओशिनिया में बढ़ते उत्पादन और भरे स्टॉक के कारण मक्खन और मिल्क पाउडर सस्ते हुए। हालांकि, एशिया और पश्चिम एशिया में मजबूत मांग और यूरोप से कम निर्यात की वजह से पनीर के दाम बढ़े। चीनी मूल्य सूचकांक 0.2% घटकर 103.3 अंक पर रहा। भारत, थाईलैंड और ब्राजील में बेहतर मौसम के कारण उत्पादन बढ़ने की उम्मीदें कीमतों को नीचे ला रही हैं।

