कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे चातुर्मास के अवसर पर सोमवार को गणिनी आर्यिका विभाश्री माताजी अपने प्रवचन में कहा कि पिता और गुरु, विद्या और संतान का कभी अनादर नहीं करना चाहिए।
विद्या चाहे जैसी भी हो, संतान चाहे जैसी भी हो, उन्हें बुरा नहीं सोचना चाहिए। माता-पिता और गुरु की पूजा करनी चाहिए और उनका आशीर्वाद प्रतिदिन प्राप्त करना चाहिए। क्योंकि उनका आशीर्वाद जीवन में सफलता लाने वाला होता है।
हमें जो भी संपत्ति मिले, चाहे वह माता-पिता, ससुराल, मामा-नानी या किसी अन्य से हो, वह तभी हमारे काम आएगी जब हमारा पुण्य होगा। यदि पुण्य नहीं होगा तो हम उसका उपयोग नहीं कर पाएंगे। किसी का अहित करना या किसी का बुरा करना भी हमारे कर्मों के परिणाम हैं, इसलिए किसी और को दोष नहीं देना चाहिए।

