जीवन में विद्यार्थी बन कर ही ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है: विभाश्री माताजी

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कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चातुर्मास को भव्यता से सम्पन्न करवाने के लिए शुक्रवार को एक कमेटी का गठन किया गया। मंदिर अध्यक्ष राजमल पाटौदी ने बताया कि चातुर्मास के​ लिए वर्षा योग समिति का गठन कर दिया गया है। जिसमें अध्यक्ष विनोद टोरडी, कार्याध्यक्ष मनोज जैसवाल, मुख्य संयोजक रितेश सेठी, महामंत्री अनिल ठौरा, देवेन्द्र गगंवाल को कोषाध्यक्ष व मंत्री पद पर पीके हरसौरा को चुना गया है।

विनोद टोरडी एवं मनोज जैसवाल ने बताया कि चातुर्मास आयोजन की सांध्यकालीन गतिविधियाँ भक्ति एवं सांस्कृतिक प्रस्तुति का मनोहारी समागम बनीं। महावीर युवा मंडल द्वारा 108 दीपों से भव्य आरती की गई, जिससे संपूर्ण मंदिर परिसर दीपमालिका की तरह आलोकित हो उठा। विज्ञान नगर महिला मंडल द्वारा ‘कमठ का उपसर्ग’ नामक नाटक का मंचन किया गया, जिसमें भगवान महावीर के तप, सहनशीलता एवं क्षमा के अद्भुत प्रसंग को जीवंत किया गया।

चातुर्मास प्रवचन श्रंखला के अंतर्गत गणिनी आर्यिका विभाश्री माताजी ने तत्त्वार्थ सूत्र कक्षा में उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि संसार में रत्नों का दान कितना भी मूल्यवान हो, वह शाश्वत सुख नहीं दे सकता। जबकि संवर और निरजरा की प्राप्ति ही सच्चे सुख का स्रोत है। दुखों से निवृत्ति हेतु श्रावक को शास्त्र और गुरु की शरण लेनी चाहिए।

उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि जैसे भौतिक दीपक को जलाने के लिए बाती और तेल की आवश्यकता होती है, परंतु उससे धुआं भी निकलता है। वहीं आत्मा का ‘केवलज्ञान रूपी दीप’ बिना बाती, तेल और धुएं के स्वयं प्रकाशित होता है। यह ज्ञान अहंकार से रहित होता है। जब तक केवलज्ञान की प्राप्ति नहीं होती, व्यक्ति को विद्यार्थी बने रहना चाहिए।