जब तक योगी न बन सको, तब तक सहयोगी बनो: आचार्य प्रज्ञासागर

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कोटा। महावीर नगर प्रथम स्थित दिगंबर जैन मंदिर में प्रवासरत आचार्य प्रज्ञासागर मुनिराज ससंघ ने गुरुवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए साधर्मी भावना एवं परस्पर सहयोग को समाज की वास्तविक शक्ति बताया।

उन्होंने कहा कि सहयोग की संस्कृति न केवल संबंधों को मधुर बनाती है, बल्कि समाज को समर्थ और सुदृढ़ बनाने का आधार भी है। गुरुदेव ने कहा कि किसी भी समाज की प्रगति उसके कमजोर सदस्यों को सहारा देने से संभव होती है। जैसे गाय अपने नवजात बछड़े को चाटकर उसकी गंदगी दूर करती है और तब तक संभालती है, जब तक वह स्वयं खड़ा न हो जाए। उसी प्रकार सक्षम लोगों को अपने आसपास के जरूरतमंद भाइयों का संबल बनना चाहिए।

उन्होंने सहयोग करते समय एहसान जताने की प्रवृत्ति से बचने का संदेश देते हुए कहा कि जब तक योगी न बन सको, तब तक सहयोगी बनो। उन्होंने कहा कि ईश्वर ने मनुष्य को सहयोग करने योग्य बनाया है, इसलिए समाज, धर्म, परिवार और साथियों के लिए सामर्थ्यानुसार सहयोग करना प्रत्येक साधर्मी का कर्तव्य है।

आज से विविध धार्मिक कार्यक्रम
गुरू आस्था परिवार के चेयरमैन यतीश जैन खेडावाला ने बताया कि 28 नवंबर (शुक्रवार) को वासपूज्य दिगंबर जैन, कृष्णानगर रंगबाड़ी में वास्तुविधान एवं संत-शाला का शिलान्यास प्रातः 8 बजे आचार्यश्री के सान्निध्य में किया जाएगा। यह आयोजन आचार्य प्रज्ञासागर जी की प्रेरणा से संपन्न होगा।

महामंत्री नवीन जैन दौराया ने बताया कि 29 नवंबर (शनिवार) को प्रातः 7:30 बजे श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर, महावीर नगर प्रथम से बैंड-बाजों के साथ आचार्य श्री ससंघ की अगवानी हेतु भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। इस अवसर पर चातुर्मास मंगल कलश की स्थापना भी की जाएगी। इसके बाद गुरुदेव की पूजा, गुरुवाणी श्रवण, भक्तामर आराधना एवं हवन का आयोजन होगा।

अध्यक्ष लोकेश जैन सीसवाली ने बताया कि 30 नवंबर को प्रातः 8:30 बजे अग्रवाल दिगंबर जैन मंदिर, शास्त्री मार्केट में आचार्य प्रज्ञासागर मुनिराज ससंघ के पावन सान्निध्य में भव्य शिलान्यास एवं स्वर्ण वेदी निर्माण कार्य का शुभारंभ किया जाएगा।