चीफ इलेक्शन कमिश्नर के खिलाफ विपक्ष लामबंद, ला सकता है महाभियोग प्रस्ताव

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नई दिल्ली। मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों को लेकर राहुल गांधी और चुनाव आयोग में टकराव के बीच विपक्ष लामबंद दिखाई दे रहा है। जानकारी के मुताबिक इंडिया गठबंधन मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है।

राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाए थे कि लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र, कर्नाटक और हरियाणा में ‘वोटों की चोरी’की गई। राहुल गांधी का आरोप है कि चुनाव आयोग चुनावों के दौरान सत्ताधारी बीजेपी का समर्थन करता है और वोटर डेटा में छेड़छाड़ करता है।

बीते 7 अगस्त को राहुल गांधी ने दावा किया था कि बेंगलुरु सेंट्रल के महादेवपुरा में 1 लाख से ज्यादा वोटों की चोरी हुई थी और यहां बीजेपी जीत गई थी।

महाभियोग लाने के नियम
मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग लाने के नियम भी सुप्रीम कोर्ट के जजों की तरह ही हैं। आर्टिकल 324 (5) के तहत उनके खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है। दोनों सदनों में बहस के बाद अगर प्रस्ताव के समर्थन में सदन के दो तिहाई सदस्य होते हैं तभी मुख्य चुनाव आयुक्त को पद से बटाया जा सकता है। इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति मंजुरी देते हैं। नियम यह भी है कि प्रस्ताव जिस सत्र में लाया जाता है उसी में उसका पास होना भी जरूरी है।

कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग के इस दावे को भी हास्यास्पद बताया कि वह सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के बीच कोई अंतर नहीं करता। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मतदाता सूची संशोधन का उद्देश्य मतदाता सूचियों में सभी कमियों को दूर करना होता है और यह गंभीर चिंता का विषय है कि कुछ दल इसके बारे में गलत सूचना फैला रहे हैं और निर्वाचन आयोग के कंधे पर रखकर गोली चला रहे हैं।सीईसी की टिप्पणी के तुरंत बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सवाल किया क्या आयोग उच्चतम न्यायालय के 14 अगस्त के आदेशों को अक्षरशः लागू करेगा।

चुनाव आयोग ने खारिज किए राहुल के आरोप
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को राहुल गांधी के सभी दावों को बेबुनियाद बताया था। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी संविधान का अपमान कर रहे हैं। दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सीईसी ने कहा कि राहुल गांधी को एक शपथपत्र पर हस्ताक्षर करके पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा, अगर सात दिन के अंदर शपथपत्र नहीं मिलता है तो पता चल जाएगा कि उनके आरोप निराधार थे।