चीन के फैसले से भारत के आगे गिड़गिड़ाया अमेरिका, बोला मिलकर देंगे ड्रैगन को जवाब

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नई दिल्ली। US-China Trade War: अमेरिका और चीन के बीच चल रहा व्यापार युद्ध इस हफ्ते और गहरा गया है। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने सोमवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार पर उकसावेभरे आर्थिक कदम उठाने का आरोप लगाया है।

उन्होंने कहा कि बीजिंग द्वारा दुर्लभ खनिजों पर नए निर्यात नियंत्रण लगाना पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था को चुनौती देने जैसा है। बेसेंट ने फॉक्स बिजनेस से बातचीत में कहा, “यह चीन बनाम पूरी दुनिया है। उन्होंने जो नए निर्यात नियंत्रण लगाए हैं, वे अगले महीने से लागू होंगे। हमें नहीं पता कि उन्होंने यह कदम अभी क्यों उठाया, लेकिन हमने इसके खिलाफ आक्रामक रूप से जवाब दिया है।”

उन्होंने कहा कि अमेरिका चीन को इन महत्वपूर्ण खनिजों का हथियार बनाने की अनुमति नहीं देगा। बेसेंट ने कहा, “उन्होंने पूरी स्वतंत्र दुनिया की सप्लाई चेन और औद्योगिक ढांचे पर बंदूक तान दी है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।” बेसेंट ने बताया कि अमेरिका ने पहले ही भारत, यूरोप और अन्य एशियाई लोकतांत्रिक देशों से समन्वय शुरू कर दिया है ताकि चीन के खिलाफ सामूहिक प्रतिक्रिया दी जा सके।

क्या हैं चीन के नए निर्यात नियंत्रण नियम
चीन द्वारा 9 अक्टूबर को घोषित नए नियमों के तहत अब किसी भी उत्पाद में यदि 0.1% से अधिक दुर्लभ खनिज मौजूद हैं, तो उसके निर्यात के लिए सरकारी अनुमति जरूरी होगी। इन नियमों में कुछ नए खनिजों को भी प्रतिबंधित सूची में शामिल किया गया है, साथ ही विदेशी सैन्य उपयोग के लिए इनके निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। आपको बता दें कि चीन दुनिया के 70% दुर्लभ खनिजों का खनन और 90% से अधिक प्रोसेसिंग नियंत्रित करता है, जिससे वह इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा, और ईवी उद्योग में भारी प्रभाव रखता है।

इनमें से डिसप्रोसियम जैसे तत्व इलेक्ट्रिक मोटर, टरबाइन और रक्षा प्रणालियों के लिए अहम हैं। बेसेंट ने कहा, “ये पदार्थ बहुत कम मात्रा में इस्तेमाल होते हैं, लेकिन इनके बिना कोई उद्योग नहीं चल सकता।”

ट्रंप का पलटवार
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को घोषणा की कि अमेरिका 1 नवंबर से चीनी वस्तुओं पर 100% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा, जिससे कुल शुल्क दर लगभग 130% तक पहुंच जाएगी। ट्रंप ने कहा कि चीन का रवैया बेहद आक्रामक है और अमेरिका अपने उद्योगों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाएगा। हालांकि कुछ घंटों बाद उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, “सब ठीक हो जाएगा। राष्ट्रपति शी का सिर्फ एक बुरा दिन था। हम चीन को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते, बल्कि मदद करना चाहते हैं।”

‘चीन खुद को नुकसान पहुंचा रहा है’
वित्त मंत्री बेसेंट ने कहा कि बीजिंग की रणनीति कमजीरी का संकेत है, ताकत का नहीं। उन्होंने कहा, “यह दिखाता है कि उनकी अर्थव्यवस्था मंदी में है। शायद यह कोई लेनिनवादी बिजनेस मॉडल है जिसमें ग्राहक को नुकसान पहुंचाना अच्छा माना जाता है।” उन्होंने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था मंदी या अवसाद की स्थिति में है और वह निर्यात बढ़ाकर इससे निकलने की कोशिश कर रहा है, लेकिन यह रणनीति खुद चीन के लिए विनाशकारी साबित होगी।

अमेरिका हर संभव कदम उठाने को तैयार
बेसेंट ने कहा कि अमेरिका जो भी जरूरी होगा करेगा ताकि सप्लाई चेन स्थिर रहे और तनाव कम हो। उन्होंने कहा, “हम अलग नहीं होना चाहते, बल्कि जोखिम कम करना चाहते हैं। यह चीन बनाम दुनिया की स्थिति है।”

ट्रंप-शी मुलाकात पर सस्पेंस
बढ़ते तनाव के बीच बेसेंट ने पुष्टि की कि राष्ट्रपति ट्रंप और शी जिनपिंग की मुलाकात इस महीने दक्षिण कोरिया में होने की संभावना है, हालांकि स्थिति को देखते हुए कार्यक्रम में बदलाव भी संभव है। दोनों देशों के अधिकारी इससे पहले IMF और वर्ल्ड बैंक की बैठकों के दौरान वॉशिंगटन में प्रारंभिक वार्ता करेंगे। आने वाले हफ्तों में यह स्पष्ट होगा कि दोनों देश तनाव घटाने की दिशा में बढ़ते हैं या व्यापारिक टकराव एक नए मोर्चे में बदल जाता है।