चातुर्मास निष्ठापन एवं पिच्छी परिवर्तन समारोह विज्ञान नगर में 26 अक्टूबर को

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कोटा। 26 अक्टूबर को चातुर्मास निष्ठापन एवं पिच्छी परिवर्तन का भव्य समारोह विज्ञान नगर दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित किया जाएगा, जिसमें सभी पूर्णियाजकजनों को कलश प्रदान किए जाएंगे।

साम्यश्री माताजी ने अपने प्रवचन में कहा कि ध्यान के लिए इंद्रिय और मन पर विजय प्राप्त करना आवश्यक है। ध्यान ही वह साधना है, जिससे कर्मों की निर्जरा होती है और आत्मा मुक्त होती है। संयम वह साधन है, जो चरित्र मोहनी कर्म को नष्ट करता है। संयम से भय मिटता है और आत्मा का साक्षात्कार संभव होता है।

साम्यश्री माताजी ने कहा कि यदि कोई निग्रंथ दीक्षा लेकर भी आत्मदर्शन न कर सके, तो उसका पिच्छी-कमंडल धारण करना व्यर्थ है। उन्होंने साधकों से आग्रह किया कि जीवन में साधु-संतों की संगति को कभी न छोड़ें, क्योंकि उनके तप की ऊर्जा और आशीर्वाद से आत्मिक बल प्राप्त होता है।