विश्व गुरु बनना है तो सनातन विकास की अवधारणा को अपनाना पड़ेगा
कोटा। बाढ़ सुखाड़ विश्व जन आयोग के अध्यक्ष एवं स्टाकहोम जल नोबेल पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर राजेंद्र सिंह ने कहा है कि चम्बल नदी कोटा के लिए वरदान थी। उसको जो दिल की बीमारी थी उसका इलाज कार्डियक सर्जन से होना चाहिए था जबकि, उसको ब्यूटी पार्लर में ले जाकर इलाज कराया गया। इसी कारण चंबल नदी न रहकर एक नहर बन गई है।
राजेंद्र सिंह ने गुरुवार को चंबल रिवर फ्रंट का दौरा करने के बाद पत्रकारों से चर्चा में कहा कि आजकल सरकारें जल, जंगल, जमीन को व्यावसायिक दृष्टिकोण से विकसित करना चाहती है, जबकि नदियां, पर्वत, जंगल हमारे नैसर्गिक एवं आस्था के केंद्र हैं और इसीलिए हमारी संस्कृति में नदियों को मां का दर्जा दिया गया है।
जिन लोगों ने मां का दर्जा दिया वह मूर्ख नहीं थे। जब नदियों में पानी अविरल बहता है तब क्षेत्र का संतुलित विकास होता है। जब हड्डियों को रिवर फ्रंट या बड़े-बड़े बांधों के जरिए बांधने का प्रयास होता है तो वह नदी की प्रकृति को मारने जैसा काम है।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में कोटा शहर को बाढ़ की विभीषिका का सामना करना पड़ेगा। बादल अब केवल पहाड़ों में ही नहीं रेगिस्तान में भी फटने लगे हैं। कोटा में भी संभव है कि जलवायु परिवर्तन के कारण दुर्भाग्य से यदि बादल फटे तो कोटा को बाढ़ से कोई नहीं बचा सकता।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि प्राचीन समाज ने कोटा को जल प्लावन से बचने के लिए तालाबों की श्रृंखला बनाई थी। उसे हमने नष्ट कर दिया और एक कृत्रिम उपाय डायवर्जन चैनल को बनाकर मान लिया कि कोटा बाढ़ से बच सकता है। जबकि, यह एक अधूरा सत्य था।
उस समय में कोटा के लोगों को यह पता पड़ा कि डायवर्सन चैनल के बावजूद बाढ़ से नहीं बचा जा सकता। उन्होंने बताया कि 2001 में जब मैं कोटा दौरे पर आया था तब भी ईट तालाबों को पुनर्जीवित करने का प्रस्ताव हमने सरकार के सामने रखा था और आज भी हम इस बात पर कायम हैं।
राजेंद्र सिंह ने कहा कि आपका चम्बल का जंगल एवं अरावली पर्वतमाला एवं सरिस्का बाघ रिजर्व को बचाना एवं सरिस्का की सीमाओं को बरकरार रखना बहुत बड़ी चुनौती है। आज दुर्भाग्य से राज्य और केंद्र सरकार ने सरिस्का, शाहाबाद एवं चंबल का सौदा करने में व्यस्त हो गई है। इसका जन जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
देश की 23 नदियों को पुनर्जीवित करने एवं 15800 से अधिक वर्षा जल संचयन प्रणालियां विकसित करने वाले राजेंद्र सिंह एवं उनकी टीम के सदस्यों ने बताया कि शाहबाद जंगल को बचाने के लिए चंबल संसद एवं जल बिरादरी शाहबाद घाटी बचाओ संघर्ष समिति निरंतर जन जागृति कर रही है। जो अभी पर्याप्त नहीं कहीं जा सकती। उसे जन आंदोलन में बदलने की आवश्यकता है।
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि हमारी वन संपदा को बचाने के लिए सनातन संस्कृति में पर्याप्त प्रावधान है। इसी कारण देश विश्व गुरु बन सकता है। कंपनियों एवं कारपोरेट जगत के हाथ में इनका प्रबंधन देने से आने वाले समय में भयंकर समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। जो जलवायु परिवर्तन के रूप में मानव जाति के समक्ष चुनौती बन गई है।
पत्रकार वार्ता में चंबल संसद के संरक्षक जीडी पटेल, यज्ञ दत्त हाडा एवं संयोजक बृजेश विजयवर्गीय, डॉ. अमित सिंह राठौड़, विट्ठल सनाढ्य एवं उपाध्यक्ष अनिता चौहान ने चंबल एवं शाहबाद को लेकर अपने सुझाव प्रस्तुत किए।
राजेंद्र सिंह आज कई कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे
चंबल संसद के राष्ट्रीय संरक्षक डॉक्टर राजेंद्र सिंह शुक्रवार को ओम कोठारी प्रबंधन एवं शोध संस्थान में सुबह 11बजे छात्रों एवं शहर के प्रबुद्ध नागरिकों से पर्यावरण विकास संतुलन एवं चुनौतियां विषय पर चर्चा करेंगे। दोपहर 2:30 बजे नयापुरा में ऑफिसर क्लब में वरिष्ठ जन कल्याण समिति की बैठक को संबोधित करेंगे
अपरण 4:00 बजे डॉक्टर राजेंद्र सिंह करियर पॉइंट गुरुकुल थेकडा में छात्रों के बीच संवाद करेंगे।

