घर के वातावरण की शुद्धि के लिए गाय के घी का दीपक लगाएं: प्रज्ञासागर मुनिराज

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कोटा। जैनाचार्य प्रज्ञासागर जी मुनिराज का 37वां चातुर्मास महावीर नगर प्रथम स्थित प्रज्ञालोक में श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिक गरिमा के साथ शुक्रवार को भी जारी रहा ।
आचार्य प्रज्ञासागर जी ने अपने प्रवचन में गृह मंदिर की व्यवस्था और जीवनशैली के संबंध में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए।

गुरूदेव ने बताया कि गाय के घी का दीपक केवल पारंपरिक मान्यता नहीं, बल्कि वैज्ञानिक आधार पर भी अत्यंत लाभप्रद है। उन्होंने स्पष्ट किया कि गाय के घी का दीपक ऑक्सीजन प्रदान करता है, जो घर के वातावरण को शुद्ध बनाता है।

उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज के समय में गायों की संख्या कम होती जा रही है। फिर भी बाजार में टनों की मात्रा में घी उपलब्ध है। उन्होंने कहा, पहले गाय अधिक थीं तो भी सीमित मात्रा में ही घी प्राप्त होता था। लेकिन, आज स्थिति उलट है। इसलिए वास्तविक गाय के घी की पहचान करना आवश्यक है।

मंदिर में रुपया-पैसा नहीं रखें
प्रज्ञासागर जी ने समझाया कि घर में मंदिर है तो चैत्यालय अवश्य होना चाहिए। मंदिर के मूल नायक भगवान की फोटो या प्रतिमा स्थापित करें। घर के मुख्य द्वार पर विनायक यंत्र अवश्य रखें। मंदिर में केवल आवश्यक पूजा सामग्री रखें, अनावश्यक वस्तुओं से बचें। गुरूदेव के अनुसार ईशान कोण मंदिर के लिए सर्वोत्तम स्थान है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मंदिर में रुपया-पैसा नहीं रखना चाहिए। केवल जरूरी पूजा सामग्री ही मंदिर में रखें।

पूर्व दिशा में मुंह करके भोजन करें
गुरूदेव ने सोने के लिए वैज्ञानिक दिशा-निर्देश देते हुए कहा कि सिर दक्षिण दिशा में और पैर उत्तर दिशा में होने चाहिए। दक्षिण दिशा में पैर करके कभी नहीं सोना चाहिए। भोजन करते समय घर के मुखिया का मुख उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए। यह न केवल आध्यात्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभप्रद है।