घरेलू मांग बढ़ने से खाद्य तेलों का आयात अगले सीजन में भी बढ़ने का अनुमान

0
14

मुम्बई। उद्योग- व्यापार क्षेत्र के अग्रणी विश्लेषकों का मानना है कि तिलहन फसलों के उत्पादन में स्थिरता रहने तथा घरेलू प्रभाग में मांग एवं खपत बढ़ने से विदेशी खाद्य तेलों के आयात पर भारत की भारी निर्भरता अगले मार्केटिंग सीजन में भी बरकरार रहेगी। 2024-25 सीजन में तिलहन फसलों का उत्पादन कम हुआ क्योंकि मौसम की हालत अनुकूल नहीं रही।

उद्योग व्यापार क्षेत्र के अनुसार खरीफ और रबी सीजन को मिलाकर देश में 99 लाख टन सोयाबीन, 84 लाख टन मूंगफली एवं 100 लाख टन सरसों के उत्पादन का अनुमान है। इसके अलावा सूरजमुखी, तिल एवं अलसी सहित देश में कुछ अन्य तिलहनों का भी सीमित उत्पादन होता है। सूरजमुखी का उत्पादन महज 26 हजार टन आंका गया है।

समीक्षकों के मुताबिक पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान सोयाबीन के रकबे में भारी गिरावट आने से तिलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र काफी पीछे रह गया और प्राकृतिक आपदाओं से इसे नुकसान होने की आशंका भी है।

जैसे मूंगफली का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के आसपास ही रहा। अब सबका ध्यान रबी सीजन पर केन्द्रित हो गया है जिसमें सरसों का उत्पादन बढ़े-पैमाने पर होता है। बाजार भाव काफी ऊंचा रहने एवं खेतों में पर्याप्त नमी मौजूद होने से सरसों का रकबा बढ़ने के आसार हैं। इससे उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी।

व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक जीएसटी की दर में संशोधन होने से खाद्य तेलों की घरेलू मांग बढ़ने की उम्मीद है जिससे उद्योग को बेहतर कारोबार का अवसर मिल सकता है। खरीफ कालीन मूंगफली की फसल तो अच्छी हालत में है मगर सोयाबीन की फसल कमजोर बताई जा रही हैं। विदेशों से विशाल मात्रा में खाद्य तेलों का आयात आगामी महीनों में भी जारी रहेगा।