कोटा। ‘खेतीका’ ने राजस्थान के हाड़ौती अंचल में आज ‘साथी’ नाम से एक नया कार्यक्रम शुरू किया है। ‘साथी’ का मतलब है किसानों की मदद करना। ताकि उनकी कमाई बढ़े, उनकी फसल की गुणवत्ता बेहतर हो और वे पर्यावरण के लिए अच्छे और टिकाऊ खेती के तरीके अपना सकें।’खेतीका’ ने अपना पहला साथी केंद्र शुक्रवार को कोटा जिले की रामगंजमंडी तहसील के खेड़ारुद्धा में शुरू किया।
‘खेतीका’ के सीईओ और कोफाउंडर डॉ.पृथ्वी सिंह ने इस योजना के बारे में बताया कि ‘साथी’ भारतीय खेती की पुरानी समस्याओं का एक ठोस समाधान है। किसान सिर्फ मदद नहीं चाहते, उन्हें चाहिए ऐसा सिस्टम जो साफ़, ईमानदार और उनके काम के अनुसार हो। जब किसान प्रशिक्षित, सशक्त और टेक्नोलॉजी से जुड़े होते हैं, तो पूरी खेती से बाजार तक की प्रक्रिया मजबूत, भरोसेमंद और टिकाऊ बन जाती है।
साथी का मकसद है कि साफ़-सुथरा और ईमानदार खाना सीधे ऐसे किसानों से आए जो सम्मानित, समर्थित और सही उपकरणों से सशक्त हों। यह पारदर्शी सिस्टम किसानों और ग्राहकों दोनों के लिए फायदेमंद है और भविष्य में टिकाऊ खेती को आम बनाता है।
भारत की खेती में कई तरह की समस्याएं हैं, जो सीधे किसानों की कमाई को कम करती हैं। जैसे कि ज्यादातर किसान सीधा बाजार तक नहीं पहुँच पाते, उन्हें अच्छी फसल उगाने का सही प्रशिक्षण नहीं मिलता, बेहतर फसल उगाने पर खास प्रोत्साहन नहीं मिलता, भुगतान में देरी या भरोसेमंदी नहीं होती और वे बीच वाले लोगों पर ज्यादा निर्भर रहते हैं।
ये समस्याएँ तब और भी बढ़ जाती हैं, जब कृषि तकनीक का इस्तेमाल बहुत कम होता है। एक सर्वे के मुताबिक सिर्फ 2 प्रतिशत किसान प्रिसिजन-एग्रीकल्चर उपकरण या फार्म मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करते हैं और केवल 4 प्रतिशत किसान डिजिटल खेती के टूल्स पर भरोसा करते हैं। इसका मतलब है कि ज्यादातर किसानों के पास वो सिस्टम नहीं हैं जो उनकी उत्पादकता, पारदर्शिता और आय को बढ़ा सकते हैं। ‘
खेतीका’ का ‘साथी’ प्रोग्राम इन समस्याओं को दूर करता है। यह एक सीधा, साफ और टेक्नोलॉजी वाला सिस्टम बनाता है जो पूरी खेती से बाजार तक की प्रक्रिया को मजबूत करता है। ‘साथी’ से किसान सीधा बाजार से जुड़ सकते हैं, ग्राहकों की जरूरत के हिसाब से फसल उगा सकते हैं और बेहतर दाम पा सकते हैं।
इसमें किसान को पूरा प्रशिक्षण, तकनीकी मदद और लगातार सपोर्ट मिलता है। साथी ग्राहकों की भी मदद करता है। जिसमें उन्हें बिना मिलावट और अच्छी क्वालिटी के खाने की चीज़ें मिलती हैं। यह कीटनाशक-मुक्त और ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देता है और पूरे खेत के काम को जोड़कर खाद्य सुरक्षा, पोषण और टिकाऊ खेती सुनिश्चित करता है जिससे इससे मिट्टी अच्छी रहती है, रसायन कम इस्तेमाल होते हैं और मौसम की बदलती परिस्थितियों में भी खेती शानदार रहती है।
हर साथी किसान ट्रेनिंग सेंटर एक ऐसी जगह के रूप में काम करेगा जहाँ किसान सीखेंगे और मदद पाएंगे। इन सेंटर में कई सुविधाएँ होंगी जिनमें ट्रेनिंग और मीटिंग की बेहतर जगह, फसल की गुणवत्ता जाँचने की लैब (नमी, ग्रेडिंग और सैंपलिंग के लिए), डिजिटल वज़न प्रणाली, क्यूआर कोड से फसल ट्रैकिंग, साफ़-सफाई और ग्रेडिंग की यूनिट, साफ सुथरा स्टोरेज यानी भंडारण और 24 घंटे में भुगतान सुविधा जिससे सब कुछ पारदर्शी और भरोसेमंद रहेगा। साथ ही ये सेंटर सुपरखेत और सुपरजीआरटी ऐप से जुड़े होंगे, जो बीज से लेकर फसल तक की गुणवत्ता को पूरी तरह से मॉनिटर करता है।
साथी के पहले चरण में सेंटर राजस्थान, गुजरात, बिहार, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, केरल और तमिलनाडु के मुख्य कृषि क्षेत्रों में खोले जाएंगे। इनका हर सेंटर 2,000 से ज्यादा किसानों को जोड़ेगा और 40 प्रतिशत से ज्यादा फसल सीधे स्थानीय स्तर से खरीदी जाएगी। यह प्रोग्राम कई मुख्य फसलों पर ध्यान देगा जिनमें मिर्च, हल्दी, धनिया, जीरा, सोयाबीन, सरसों, दालें, बाजरा, तिल, इलायची, काली मिर्च और लौंग आदि शामिल हैं।
इस प्रोग्राम में किसानों को लगातार ट्रेनिंग दी जाएगी जिसमें कीट नियंत्रण (आईपीएम), ऑर्गेनिक और कम रसायन वाली खेती, मिट्टी और पानी का सही इस्तेमाल, कृषि तकनीक के टूल्स, फसल कटाई के बाद का सही संभाल और पैसों का सही इस्तेमाल सिखाया जाएगा।
ये ट्रेनिंग खेतीका के विशेषज्ञ केवीके, कृषि विश्वविद्यालय और साझेदार गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर देंगे। इससे किसान अच्छी, फायदेमंद और मौसम के हिसाब से टिकाऊ खेती कर पाएँगे।

