क्रोध में दिया गया उत्तर व्यक्ति का पूरा जीवन बर्बाद कर सकता है: प्रज्ञासागर महाराज

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कोटा। केन्द्रीय कारागृह में बुधवार को आयोजित प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए आचार्य प्रज्ञासागर महाराज ने कहा कि जीवन में कई बार छोटी-सी भूल या गलत प्रतिक्रिया पूरे जीवन को प्रभावित कर देती है।

उन्होंने कहा कि जब क्रोध आए तो ठहर जाएँ, तुरंत प्रतिक्रिया न दें। क्रोध में दिया गया उत्तर न केवल व्यक्ति के लिए, बल्कि पूरे परिवार के लिए दंड का कारण बन सकता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसे सकाल के अध्यक्ष प्रकाश बज एवं गुरु आस्था परिवार के अध्यक्ष लोकेश जैन सीसवाली, महामंत्री नवीन जैन दौराया ने संपादित किया।

इस अवसर पर कपिल आगम, विकास मजीतिया, नीलेश खटकीड़ा तथा एएसपी प्रवीण जैन सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे। कैदियों द्वारा एक छोटी-सी भूल हमें यहाँ ले आई… गीत की प्रस्तुति की गई, जिसने वातावरण को भावुक कर दिया।

सांयकालीन मंगल देशना में आचार्य प्रज्ञासागर महाराज ने कहा कि किसी के सिर झुकाने पर यदि आशीष न मिले या बाद में उस व्यक्ति के सिर पर हाथ रख दिया जाए या पिच्छी से स्पर्श कर दिया जाए तो वह अनुभव अत्यंत आनंददायक हो जाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जैन परंपरा में ‘आशीर्वाद’ शब्द का प्रयोग प्रचलित नहीं है। क्योंकि जैन आगमों के अनुसार न देव, न गुरु किसी को आशीर्वाद या शाप देते हैं।

उन्होंने कहा, जैन परंपरा में नमोस्तु करना ही वास्तविक आशीर्वाद है। देव, शास्त्र और गुरु को देखने का अर्थ ही ‘दर्शन’ है। प्रतिमाएँ ध्यान-मग्न इसलिए हैं कि भक्त आशीर्वाद मांगने नहीं, दर्शन करने आए। जो बिना मांगे मिलता है, वही वास्तविक मोती है।उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सुदामा ने कृष्ण से कुछ नहीं मांगा, परंतु सब प्राप्त कर लिया।