क्रॉस बैंड हस्तक्षेप से राजस्थान में एयरटेल के उपभोक्ता परेशान

0
7

कोटा। दिसंबर से एयरटेल का नेटवर्क प्रदर्शन राजस्थान में तेजस के बीएसनल साइटों पर लगाए गए उपकरणों से क्रॉस-बैंड हस्तक्षेप के कारण प्रभावित हो रहा है, जबकि तकनीकी समाधान के लिए कई बार चर्चा, परीक्षण और निर्देश दिए गए, फिर भी कोई सुधार नहीं हुआ।

एयरटेल के मुख्य नियामक अधिकारी राहुल वत्स ने बताया कि हस्तक्षेप का कारण तेजस के रेडियो उपकरणों और फिल्टर डिज़ाइन में तकनीकी गैर-अनुपालन बताया गया है। तेजस द्वारा प्रदान किया गया बैंड-पास फिल्टर भारत के 800 एमएचजेड बैंड की निर्धारित आवृत्ति सीमा से मेल नहीं खाता, जिससे 900 एमएचजेड स्पेक्ट्रम में अन्य ऑपरेटरों के लिए हानिकारक हस्तक्षेप हो रहा है।

वत्स ने बताया कि भारत के अन्य उपकरण निर्माताओं ने दशकों से सख्त मानकों के अनुसार फिल्टर डिजाइन किए हैं जो विशिष्ट आवृत्तियों के अंदर संचालन सुनिश्चित करते हैं। तेजस को भी चाहिये था कि समस्या पता चलने पर तुरंत अपने उपकरणों को भारत की आवृत्ति योजना के अनुरूप संशोधित करे।

वत्स ने बताया कि एयरटेल ने भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ पहल का समर्थन करते हुए इंडिजिनस टेलीकॉम उपकरण निर्माताओं से सहयोग किया है, लेकिन तकनीकी मानकों का उल्लंघन और जिम्मेदारी की कमी चिंताजनक है। क्योंकि तेजस ने अभी तक आवश्यक फिल्टर्स तैनात नहीं किए हैं।

वत्स ने बताया कि इस स्थिति के कारण जनता को असुविधा हुई है और एयरटेल की सेवा देने की क्षमता प्रभावित हुई है। इसलिए एयरटेल ने तेजस से अनुरोध किया है कि वह तुरंत अपने फिल्टर्स को भारत की बैंड योजना के अनुसार पुनः कैलिब्रेट करे और बीएसएनएल की सभी साइटों पर मानक के अनुरूप बैंड-पास फिल्टर्स लगाये।

वत्स ने बताया कि पत्र के साथ राजस्थान और महाराष्ट्र के स्पेक्ट्रम प्लॉट की तुलना भी साझा की गई है, जिसमें राजस्थान में बीएसएनएल के 800 एमएचजेड बैंड से एयरटेल के 900 एमएचजेड बैंड में हस्तक्षेप स्पष्ट दिखता है, जबकि महाराष्ट्र में ऐसे हस्तक्षेप नहीं हैं। क्योंकि वहां आवश्यक फिल्टर्स लगाए गए हैं। यह पत्र द्वारा लिखा गया है और इसे भारत सरकार के उच्च पदाधिकारियों तथा संबंधित टेलीकॉम प्रमुखों को भी प्रेषित किया गया है।