नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने एक सनसनीखेज बयान देते हुए कहा है कि यदि नई रक्षा संधि के तहत आवश्यकता पड़ी उनके देश की परमाणु क्षमता सऊदी अरब को भी उपलब्ध कराई जाएगी। यह पहली बार है जब इस तरह का दावा सार्वजनिक रूप से किया गया है।
आपको बता दें कि बीते बुधवार को सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर भी मौजूद थे।
आसिफ ने जियो टीवी पर कहा, “पाकिस्तान की परमाणु क्षमता का निर्माण हमने बहुत पहले कर लिया था। हमारे पास प्रशिक्षित बल मौजूद हैं। हमारी जो क्षमताएं हैं, वे इस समझौते के तहत सऊदी अरब को उपलब्ध कराई जाएंगी।”
उन्होंने आगे कहा, “अगर पाकिस्तान या सऊदी अरब पर किसी भी ओर से हमला होता है तो उसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा और हम मिलकर जवाब देंगे। यह एक छतरी व्यवस्था है, जिसके तहत दोनों पक्ष एक-दूसरे की रक्षा करेंगे।”
भारत में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, “भारत और सऊदी अरब के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी है, जो पिछले कुछ वर्षों में और गहरी हुई है। हमें उम्मीद है कि यह साझेदारी आपसी हितों और संवेदनशीलताओं को ध्यान में रखेगी।” गौरतलब है कि गुरुवार को भारत सरकार ने केवल यह कहा था कि वह पाकिस्तान–सऊदी रक्षा समझौते के प्रभावों का अध्ययन कर रही है।
आपको यह भी बता दें कि पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच रक्षा सहयोग कई दशकों पुराना है। 1967 में पहला रक्षा समझौता हुआ और 1982 में सुरक्षा सहयोग समझौते से इसे मजबूत किया गया। एक समय पर 15–20 हजार पाकिस्तानी सैनिक सऊदी अरब में तैनात थे। 2017 में पूर्व पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ को सऊदी नेतृत्व वाले आतंकवाद विरोधी बल का कमांडर बनाया गया था।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह रक्षा समझौता अमेरिका के क्षेत्रीय सुरक्षा प्रदाता के रूप में पीछे हटने और इजरायल की आक्रामक कार्रवाइयों के बीच सामने आया है। पश्चिम एशिया में हालिया घटनाओं को देखते हुए इसे इजरायल के खिलाफ सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था की दिशा में उठाया कदम माना जा रहा है।

