कोटा यूनिवर्सिटी में अब छात्र ज्योतिष और वास्तुशास्त्र का कोर्स भी पढ़ सकेंगे

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विश्वविद्यालय की विद्या परिषद की 25वीं बैठक में इन कोर्स को मिली मंजूरी

कोटा। उच्च शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनर्स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए कोटा विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक सत्र 2026-27 से हिन्दू अध्ययन, ज्योतिष एवं वास्तुशास्त्र जैसे पारंपरिक विषयों को स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर शुरू करने की घोषणा की है। कुलगुरु प्रो. बी. पी. सारस्वत की अध्यक्षता में संपन्न विद्या परिषद की 25वीं बैठक में इन पाठ्यक्रमों को अनुमोदन प्रदान किया गया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप पहल
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन में भारतीय ज्ञान परंपरा के आलोक में तैयार किए गए ये पाठ्यक्रम प्राचीन भारतीय विद्याओं को आधुनिक शैक्षणिक ढांचे में समाहित करने का प्रयास हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन पाठ्यक्रमों को शिक्षा नीति-2020 और भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुरूप बताया है।

तीन नए विभागों का गठन
कुलगुरु प्रो. सारस्वत ने जानकारी देते हुए बताया कि कॉमर्स और प्रबंधन शिक्षा को सुदृढ़ करने के लिए तीन नए विभागों का गठन किया गया है – वाणिज्य विभाग, प्रबंध अध्ययन विभाग तथा पर्यटन एवं आतिथ्य विभाग विभाग,उन्होंने कहा कि ये विभाग वर्तमान उद्योग परिस्थितियों और रोजगार संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए स्थापित किए गए हैं। इसी प्राकर सामाजिक विज्ञान के भी तीन विभाग बना दिए गए हैं भूगोल अर्थशास्त्र एवं लोक प्रशासन विभाग शामिल है।

23 जनवरी को दीक्षांत समारोह
विश्वविद्यालय 23 जनवरी 2026 को दीक्षांत समारोह का आयोजन करेगा। कई संकायों के अद्यतन पाठ्यक्रम को भी परिषद की मंजूरी मिल चुकी है।

पाठ्यक्रमों में व्यापक संशोधन
विश्वविद्यालय की 23वीं और 24वीं बैठक में लिए गए निर्णयों के आधार पर परिपत्र विधि से कई संशोधन स्वीकृत किए गए हैं। बैंकिंग, पर्यटन प्रबंधन, योग विज्ञान और फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री सहित अनेक विषयों में नए पाठ्यक्रम लागू होंगे। पर्यटन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पांच वर्षीय एकीकृत दोहरी डिग्री कार्यक्रम (Tourism & Travel Management Theory) प्रारंभ किया जा रहा है, जिसे रोजगारोन्मुखी और वैश्विक मानकों के अनुरूप तैयार किया गया है।

नए दिशा-निर्देश और निरीक्षण प्रणाली
सत्र 2025-26 के लिए राज्य सरकार के नए दिशानिर्देशों के अनुसार, विश्वविद्यालयों को अपने अधिकार क्षेत्र में संचालित महाविद्यालयों में नियमित निरीक्षण, शैक्षणिक मूल्यांकन और संस्थागत मानकों की समीक्षा सुनिश्चित करनी होगी। यूजीसी के निर्देशानुसार, वर्ष 2023-24 के बाद स्थापित होने वाले महाविद्यालयों में नामांकन प्रक्रिया संबंधी नियमों का कड़ाई से पालन अनिवार्य होगा।

एमसीए पाठ्यक्रम में सुधार
कंप्यूटर साइंस विभाग में एमसीए पाठ्यक्रम की प्रथम सेमेस्टर परीक्षा संरचना में महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं। नए नियमों के तहत छात्रों को CSI स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए विशेष शैक्षणिक सहायता प्रदान की जाएगी। परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक अनिवार्य होंगे।

डीन समिति का पुनर्गठन
अकादमिक मानकों की निगरानी और नई शिक्षा पद्धतियों के प्रभावी कार्यान्वयन के उद्देश्य से विश्वविद्यालय ने डीन समिति का पुनर्गठन किया है। यह समिति GPEM (General Purpose Education Module) सहित विभिन्न कार्यक्रमों की सतत समीक्षा और सुधार के लिए जिम्मेदार होगी। 10 अगस्त 2025 को आयोजित समिति बैठक में नए कार्यक्रमों को परिषद की अंतिम स्वीकृति प्राप्त हुई।

नए स्नातकोत्तर एवं डिप्लोमा कार्यक्रम
परिषद ने सत्र 2024-25 और 2025-26 के लिए अनेक नए कार्यक्रमों को स्वीकृति दी है, जिनमें फाइव ईयर इंटीग्रेटेड डुअल डिग्री प्रोग्राम इन टूरिज्म एंड ट्रेवल मैनेजमेंट, मास्टर इन टूरिज्म एंड ट्रेवल मैनेजमेंट, एमए इन योगिक साइंस, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन इनकम टैक्स-लॉ एंड प्रैक्टिस, एम फार्मा के विभिन्न विशेषज्ञता कार्यक्रम, और पीजी डिप्लोमा इन एग्री-टूरिज्म, इवेंट मैनेजमेंट, मेडिकल टूरिज्म आदि शामिल हैं।विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि ये कार्यक्रम छात्रों को अधिक रोजगारोन्मुख अवसर प्रदान करेंगे और उद्योग की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप कौशल विकसित करेंगे।