कोटा। मलखंभ, एक खंभा वो भी फिसलन भरा, उस पर योग और पहलवानी के करतब दिखाते बच्चे। शक्ति, संतुलन और मनोनिग्रह का बेजोड़ संगम देख दशहरा मैदान में मौजूद हर एक दर्शक कौतूहल से भर उठा।
कोटा के 132वें राष्ट्रीय दशहरा मेले में सोमवार को विजयश्री रंगमंच पर परंपरागत भारतीय खेल के रूप में मलखंभ की प्राचीन कला का जीवंत प्रदर्शन देखने को मिला। खिलाड़ियों ने लकड़ी के 9 फीट के ऊर्ध्वाधर खंभे “मलखंभ” पर शानदार पिरामिड बनाकर सबको हैरान कर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी के साथ पूर्व उपमहापौर सुनीता व्यास, भारतीय जनता पार्टी शहर जिला उपाध्यक्ष महावीर सुमन, लोक अभियोजक एडवोकेट रितेश मेवाड़ा, समाजसेवी संदीप भाटिया, दुर्गाशक्ति व्यायाम शाला की प्रशिक्षक संतोष सुमन, पपेंद्र गहलोत, जयप्रकाश तुसिया, भूपेंद्र प्रजापति, कमलेश और सत्यम ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
मलखंभ एवं योग एकेडमी के प्रशिक्षक गोपाल सिसोदिया के निर्देशन में 8 से 18 साल तक के 39 बच्चों के दल ने ऐतिहासिक प्रस्तुति दी। उल्लेखनीय है कि श्री हरदौल व्यायामशाला छावनी का यह दल हाल ही में इंडियाज गोट टैलेंट में सेमी फाइनलिस्ट रहा है। जिसका प्रसारण 11 अक्टूबर को रात्रि 9:30 बजे सोनी टीवी पर होने वाला है।
इस दौरान बच्चों ने पश्चिमोत्तानासन, नटराज आसान, चक्रासन, एक हस्त मयूरासन, पद्मासन, वृक्षासन, शीर्षासन और धनुरासन जैसे विशेष आसनों के द्वारा शरद पूर्णिमा के चांद की तरह अपनी संपूर्ण कलाओं का प्रदर्शन किया।
बच्चों ने मलखंभ पर तेजी से चढ़ कर शीर्ष पर पहुंचने का प्रदर्शन किया। कभी एक पैर पर तो कभी एक पैर पर उल्टे खड़े हुए तो दर्शक भौंचक्के होकर वाह वाह कह उठे। उनका करतब देख पूरा विजयश्री रंगमंच तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। एकल प्रस्तुतियों का दौर आया तो विजय श्री रंगमंच के सामने बैठा हर एक दर्शक जहां का तहां ठहर गया।
बच्चों ने हाथों में मशाल लेकर आसन किया। वहीं कपाल पर दीपक रखकर किए गए आसन ने सबको हैरत में डाल दिया। मलखंब पर एक पैर से खड़े होकर किए गए वृक्षासन पर प्रांगण जय भवानी जय शिवाजी के नारों से कुछ उठा। इस दौरान रक्त चरित्र जैसे गीतों की धुन कार्यक्रम को आकर्षक बना रही थी। वहीं दुर्गा चालीसा “जय जय जय दुर्गे.. महिषासुर मर्दिनी..” ने योग क्रियाओं को शौर्य से भर दिया।

