कोटा के लोग खा जाते हैं 20 टन नमकीन रोज, नमकीन व्यापार समिति का अनुमान

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फूड क्लस्टर में कोटा के नमकीन जैसे पारंपरिक उत्पादों को शामिल किया जाएगा

कोटा। कोटा नमकीन व्यापार समिति (KNVS) के तत्वावधान में डीसीएम रोड स्थित एक होटल पर रविवार को आयोजित वार्षिक मिलन समारोह में राजस्थान के नमकीन उद्योग को एक साझा, संगठित और सशक्त मंच मिला। समारोह में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए नमकीन निर्माताओं, व्यापारियों, सरकारी विभागों, बैंकों, औद्योगिक संस्थानों और स्पॉन्सर कंपनियों की उल्लेखनीय भागीदारी रही।

अध्यक्ष ​जगदीश गांधी एंव महामंत्री प्रमोद पुरस्वानी ने बताया कि अतिथियों के उद्बोधन में केंद्र व राज्य सरकार की प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (PMFME) , मुद्रा योजना, स्टैंड–अप इंडिया, क्रेडिट गारंटी स्कीम, फूड सेफ्टी लाइसेंसिंग, पैकेजिंग–ब्रांडिंग, तकनीकी उन्नयन और बाजार विस्तार जैसी योजनाओं की जानकारी दी गई। अधिकारियों ने योजनाओं के लाभ लेकर लागत घटाने, गुणवत्ता बढ़ाने और निर्यात संभावनाएं विकसित करने पर जोर दिया।

20 टन प्रतिदिन नमकीन खपत
स्वागत भाषण समिति के अध्यक्ष जगदीश गांधी ने कहा यह आयोजन उनके उस विज़न का परिणाम है, जिसमें राजस्थान के नमकीन उद्यमी एक मंच पर आकर सीखें और सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर संगठित रूप से आगे बढ़ें। उन्होंने बताया कि कोटा शहर में प्रतिदिन 20 टन की नमकीन खपत होती है। ऐसे में फूड लैब को सुदृढ़ रूप से चालू कराने और नमकीन क्लस्टर विकसित करने की आवश्यकता है।

जिला उद्योग केंद्र के प्रतिनिधि हरिमोहन शर्मा ने बैठक को संबोधित करते हुए क्लस्टर डेवलपमेंट स्कीम तथा विश्वकर्मा उद्यमी योजना के अंतर्गत दी जाने वाली सब्सिडी की विस्तृत जानकारी दी। शर्मा ने कहा कि प्रस्तावित कोटा फूड क्लस्टर में कोटा नमकीन जैसे पारंपरिक उत्पादों को शामिल किया जाएगा, जिससे स्थानीय उद्यमियों को उत्पादन बढ़ाने, गुणवत्ता सुधारने और नए बाजारों तक पहुंच बनाने में सहायता मिलेगी।

उन्होंने एसपीवी (स्पेशल पर्पज व्हीकल) एवं जीआई टैग की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इनके माध्यम से उत्पादों की विशिष्ट पहचान बनती है और व्यापार को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाभान्वित किया जा सकता है।

दी एसएसआई एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष गोविंद मित्तल ने कहा कि कोटा कचोरी पहले से ही “कोटा” के नाम से देशभर में प्रसिद्ध है। जिस प्रकार कोटा साड़ी को जीआई टैग प्राप्त हो चुका है, उसी तरह यदि कोटा कचोरी को भी जीआई टैग दिलाया जाए तो इसके व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। इससे न केवल ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी, बल्कि नई यूनिट्स की स्थापना, उत्पादन क्षमता में विस्तार और रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।

कोटा व्यापार संघ के अध्यक्ष क्रांति जैन एवं महामंत्री अशोक माहेश्वरी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि किसी भी व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए नवाचार, गुणवत्ता नियंत्रण और संगठित विपणन अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि पारंपरिक उत्पादों को आधुनिक पैकेजिंग, डिजिटल मार्केटिंग और क्लस्टर आधारित मॉडल से जोड़ा जाए, ताकि स्थानीय उद्योग प्रतिस्पर्धी बन सकें और कोटा के उत्पादों की पहचान वैश्विक स्तर पर स्थापित हो सके।

नमकीन उत्पादन इकाइयों को सब्सिडी
सिडबी बैंक के वैभव कुमार तथा PMFME/DRP की अधिकारी सुश्री स्मिता औदिच्य ने बताया कि नमकीन उत्पादन इकाइयों को परियोजना लागत का 35% तक ऋण-लिंक्ड सब्सिडी (अधिकतम 10 लाख रुपये) मिलती है। स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को बीज पूंजी के रूप में प्रति सदस्य 40,000 रुपये तक सहायता उपलब्ध है। इसके अलावा, ब्रांडिंग, मार्केटिंग, प्रशिक्षण और सामान्य बुनियादी ढांचे (जैसे कोल्ड स्टोरेज) पर 50% अनुदान दिया जाता है। नमकीन जैसे उत्पादों के लिए नई इकाइयों की स्थापना या मौजूदा इकाइयों के उन्नयन में सहायक है।

इनका रहा योगदान
कार्यक्रम को सफल बनाने में समारोह समिति के अध्यक्ष जगदीश गांधी, महामंत्री प्रमोद पुरस्वानी, कोषाध्यक्ष सुनील मित्तल, संस्थापक रामनाथ अग्रवाल, संरक्षक राजेन्द्र राजानी, उपाध्यक्ष शरद गुप्ता एवं महेश अरोड़ा, सहमंत्री महेन्द्र गोयल, संगठन मंत्री सुनील मतानी तथा सांस्कृतिक मंत्री महेन्द्र जैन का सहयोग रहा।