कोटा। शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ श्रीबड़े मथुराधीश मंदिर पर प्रबोधिनी एकादशी से प्रभु के भोग और वस्त्र सेवा भी बदल गई है। जो बसंत पंचमी तक चलेगी। साथ ही, शीतकाल में प्रभु के दर्शनों के समय में भी परिर्वतन किया गया है। हालांकि उत्सवों के दौरान दर्शनों का समय बदला जाता है।
युवराज गोस्वामी मिलन कुमार बावा ने बताया कि पुष्टिमार्ग में अद्भुत सेवा प्रणाली मिलती है। शीतकाल में प्रभु को सिंहासन पर रुई की गादी बिछाना शुरु हुआ तथा रुई की ओढ़नी ओढाई जा रही है। वहीं गोपीवल्लभ भोग, केसर पेठा, जायफल, गन्ने का रस, बैंगन का भर्ता, रतालु, शकरकंद समेत अन्य राजभोग धराए जाते हैं। अंबर, हिना के सुगंधित द्रव्य भी धराए जा रहे हैं। झारीजी में कस्तूरी की पोटली रखी जाने लगी है। ठाकुर जी के ठंड को देखते हुए सिगड़ी रखना भी प्रारम्भ हो गई है।
दर्शनों का समय
- मंगला – 6.30 बजे (सेवानुकुल)
- ग्वाल- 9 बजे (सेवानुकुल)
- राजभोग -10.30 से 10.45 बजे (सेवानुकुल)
- उत्थापन – 3.30 बजे (सेवानुकुल)
- भोग – 4 बजे (सेवानुकुल)
- आरती – 4.30 बजे (सेवानुकुल)
- शयन – 6 बजे (सेवानुकुल)

