केंद्र ने चावल तथा गेहूं के बफर स्टॉक नियमों की समीक्षा पर काम शुरू किया

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नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं में आपूर्ति के लिए खाद्यान्न (चावल एवं गेहूं) के बफर स्टॉक से सम्बन्धित नियमों की समीक्षा का कार्य आरंभ कर दिया है।

इस नियम पर गठित समिति की पहली बैठक भी आयोजित हो चुकी वर्तमान नियमों के अनुसार केन्द्रीय बफर स्टॉक में खाद्यान्न की न्यूनतम मात्रा 1 अप्रैल को 210.40 लाख टन, 1 जुलाई को 411.20 लाख टन, 1 अक्टूबर को 307.70 लाख टन तथा 1 जनवरी को 214.10 लाख टन अवश्य उपलब्ध रहनी चाहिए।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मांग में होने वाली अनुमानित वृद्धि, जलवायु परिवर्तन के कारण बाजार भाव में बढ़ती अस्थिरता एवं युद्ध की स्थिति के समय सुरक्षित भंडारण स्थल की तलाश आदि ऐसे प्राथमिक कारक है जिस पर इस समिति को विचार करना है।

देश में भंडारण क्षमता को तेजी से बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। समिति की मीटिंग के दौरान इस बात पर विशेष रूप से चर्चा की कि अगर पड़ोसी देशों के साथ युद्ध हुआ तो क्या होगा।

इसमें सुझाव दिया गया कि पंजाब से सिलोज को बाहर निकाले जाने की आवश्यकता है क्योंकि पाकिस्तान से यह ज्यादा निकट है। पाकिस्तान के साथ हाल ही में एक झड़प हो चुकी है और भविष्य में इससे भी व्यापक एवं गंभीर युद्ध की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।

बफर स्टॉक के नियमों की अंतिम बार समीक्षा वर्ष 2015 में हुई थी। सरकार को इसे अपडेट करने में सात-आठ साल का समय लग गया था लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इस बार इसमें कम समय लगेगा। यदि समिति के चेयरमैन का नाम घोषित हो गया तो व्यवस्थित रूप से प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी और अंतिम परिणाम आने में एक साल से ज्यादा का समय नहीं लगेगा।