कलेक्टर ने कोटा में कोचिंग छात्रों से हॉस्टल्स की सिक्यूरिटी मनी वसूलने पर रोक लगाईं

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डॉ. रविंद्र गोस्वामी कलेक्टर

कोटा। Ban on hostels security money: देश की कोचिंग नगरी कोटा में पढ़ने आने वाले स्टूडेंट्स की संख्या में अचानक आई भारी गिरावट के बाद जिला प्रशासन ने शहर के छात्रावासों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जिनका मकसद छात्रों के रहन-सहन के खर्च को कम करना, उन्हें तनाव मुक्त रखना और गलत कदम उठाने से रोकना शामिल है।

इस दौरान प्रशासन ने शहर के सभी 4 हजार हॉस्टल द्वारा ली जा रही सिक्यूरिटी और कॉशन मनी वसूलने पर रोक लगाते हुए इसे खत्म कर दिया है। इससे पहले तक छात्रावास यह राशि लेते थे और वर्ष के अंत तक इसे वापस कर देते थे। हालांकि अब वे 2,000 रुपए तक रखरखाव शुल्क ले सकते हैं।

इस बारे में मंगलवार को जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन ने कोटा केयर्स अभियान के तहत आगामी शैक्षणिक सत्र 2025-26 शुरू होने से पहले नई नियमावली जारी की है। जिसका उद्देश्य यहां पढ़ने आ रहे छात्रों के जीवन को आसान बनाना है।

शहर के कोचिंग संचालकों व अन्य हितधारकों के साथ बैठक के बाद कोटा जिला कलेक्टर डॉ. रवींद्र गोस्वामी ने घोषणा करते बताया कि सभी हॉस्टल्स द्वारा बच्चों से वसूले जाने वाले हर भुगतान के बदले उनके माता-पिता को रसीद देना अनिवार्य होगा। साथ ही प्रशासन द्वारा छात्रावासों को एंटी-सुसाइड सीलिंग पंखे और उनके कर्मचारियों को अनिवार्य गेटकीपर प्रशिक्षण दिया जाएगा।

इसके अलावा गोस्वामी ने बताया कि छात्रों को तनाव मुक्त रखने की दिशा में चंबल रिवरफ्रंट और ऑक्सीजन जोन पार्क में छात्रों को एक बार पास बनवाने पर निःशुल्क प्रवेश दिया जाएगा। साथ ही रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर कोटा केयर्स हेल्पडेस्क स्थापित की जाएगी और हॉस्टल्स में सीसीटीवी और बायोमैट्रिक सिस्टम लगाए जाएंगे। रात के वक्त छात्रों की गिनती करने के लिए हॉस्टल स्टाफ का मौजूद रहना जरूरी होगा। साथ ही बच्चों के लिए मनोरंजन एरिया भी बनाने होंगे।

डॉक्टर गोस्वामी ने कहा, ‘कोटा केयर्स अभियान के तहत छात्रों को बेहतर सुविधाएं और बेहतर माहौल देने की कोशिश की जा रही है। इसके तहत कोटा में छात्रों के लिए उत्कृष्ट बुनियादी ढांचे को विकसित किया गया है। हमें विश्वास है कि कोटा में छात्रों को बेहतरीन कोचिंग के साथ-साथ बेहतरीन आवास और आदर्श वातावरण मिलेगा।’

बता दें कि प्रशासन ने यह परिवर्तन ऐसे समय में किए हैं, जब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोटा आने वाले छात्रों की संख्या में साल 2024-25 में भारी गिरावट दर्ज की गई है। पिछले साल के मुकाबले यह संख्या 2 लाख से घटकर करीब सवा लाख रह गई है। जिसके चलते करीब 50 प्रतिशत के राजस्व का नुकसान होने का अनुमान है। इस दौरान शहर के कई हॉस्टल्स में कुल क्षमता के मुकाबले 40 प्रतशत से भी कम स्टूडेंट्स रह गए हैं।

इस बारे में जानकारी देते हुए हॉस्टल एसोसिएशन के विश्वनाथ शर्मा, सुनील अग्रवाल और नवीन मित्तल ने कहा, ‘हॉस्टल्स और पीजी अब छात्रों की देखभाल के लिए नए मानक स्थापित करेंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे की सभी आवश्यक मानक पूरे हों, और हम जिला प्रशासन और कोचिंग संस्थानों के साथ मिलकरा काम करेंगे।’