राजस्थान में सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा रद्द होने के बाद सियासत गरमाई
जयपुर। SI recruitment exam cancelled: राजस्थान की 2021 की सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा को हाईकोर्ट द्वारा रद्द किए जाने के बाद सियासत गरमा गई है। कोर्ट के फैसले से जहां अभ्यर्थियों और युवाओं में संतोष का माहौल है, वहीं नेताओं के बीच श्रेय लेने की होड़ ने राजनीति में नया तूफान खड़ा कर दिया है। अदालत के फैसले के बाद राज्य में सियासी जंग और भी तीखी होती जा रही है।
राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने इस भर्ती में हुए बड़े पैमाने पर गड़बड़झाले को एक बार फिर जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने दावा किया कि इस परीक्षा में धांधली के बारे में उन्होंने समय-समय पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अवगत कराया था। मीणा ने यहां तक कहा कि एसओजी का गठन भी उनके ही दबाव पर किया गया था। उन्होंने बताया कि उन्होंने जांच एजेंसी को कई अहम सबूत सौंपे थे, जिनके आधार पर कई अपराधी जेल की सलाखों के पीछे पहुंचे।
किरोड़ी ने साफ कहा कि यह फैसला पहले ही आ जाना चाहिए था। हालांकि देरी से ही सही, लेकिन उन्होंने हाईकोर्ट के इस कदम को स्वागत योग्य बताया। उनका कहना था कि युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों को सख्त सजा मिलनी ही चाहिए।
लेकिन असली सियासी रंग तब चढ़ा जब इस फैसले का श्रेय लेने की होड़ खुलकर सामने आ गई। राजस्थान लोकतान्तरिक पार्टी (RLP) के सांसद हनुमान बेनीवाल ने जब इस फैसले का श्रेय अपने आंदोलन और धरनों को देना शुरू किया तो किरोड़ी ने उन पर सीधा व्यंग्य साधा।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि बेनीवाल के 127 दिन के धरने की भीड़ इतनी बड़ी थी कि शाहिद स्मारक की जगह भी कम पड़ गई। उन्होंने तीखी चुटकी लेते हुए कहा कि बेनीवाल ने तो मानो दिल्ली तक हिला दी थी और ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो प्रधानमंत्री तक को यह फैसला करवाना पड़ा हो।
किरोड़ी ने यहां तक कहा कि बेनीवाल अपने आंदोलन को लेकर इतना गुरूर दिखा रहे हैं, मानो बिना उनके धरने के यह फैसला कभी हो ही नहीं सकता था। किरोड़ी ने इस बयान से सीधे बेनीवाल को चुनौती दी। उन्होंने दो टूक कहा कि इस मामले का सच जनता के सामने रखना जरूरी है और अब वे नए खुलासे करेंगे, जिससे कई नेताओं की पोल खुलेगी।
यहीं नहीं रुके, किरोड़ी ने और बड़ा दावा करते हुए कहा कि इस गड़बड़ी में RLP महिला मोर्चा की अध्यक्ष तक शामिल थीं। उन्होंने स्वीकार किया कि पहले इस नाम का खुलासा न करना उनकी गलती थी, लेकिन अब वे इसे सार्वजनिक करेंगे। किरोड़ी ने सख्त लहजे में कहा—“जो गुरूर में हैं, उन्हें मैं ऐसे खुलासे करूंगा कि वे चुप हो जाएंगे।”
इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। अब सबकी निगाहें किरोड़ी के अगले कदम पर टिकी हैं। क्या वे सचमुच नए सबूतों और नामों का खुलासा करेंगे? क्या इन खुलासों से राजनीति की बिसात पर नए मोहरे गिरेंगे? यह suspense अब बढ़ता ही जा रहा है।
युवाओं को जहां कोर्ट के फैसले से राहत मिली है, वहीं राजनीति में अब आरोप-प्रत्यारोप का नया दौर शुरू हो गया है। इस परीक्षा को लेकर पहले भी गहलोत सरकार पर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन अब जब कोर्ट ने भर्ती को ही रद्द कर दिया है तो सारा मामला और भी गरमा गया है।
किरोड़ी के इन बयानों ने यह साफ कर दिया है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा केवल परीक्षा या धांधली तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका सीधा असर प्रदेश की राजनीति पर भी पड़ेगा। सस्पेंस यही है कि आखिरकार किरोड़ी कब और कैसे उन नामों का खुलासा करेंगे जिनके बारे में उन्होंने संकेत दिए हैं। क्या वे सचमुच बम गिराएंगे या यह महज़ राजनीतिक दबाव बनाने का एक हथकंडा है?

