नई दिल्ली। परम्परागत उपयोगकर्ता उद्योगों के साथ-साथ एथनॉल निर्माण में जोरदार मांग रहने से मक्का का घरेलू बाजार भाव खासकर उत्पादकों की दृष्टि से काफी आकर्षक बना हुआ है और इसलिए किसान इसकी खेती में भारी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
चालू खरीफ सीजन के दौरान धान के बाद मक्का के उत्पादन क्षेत्र में ही सर्वाधिक बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। मक्का वस्तुतः किसानों का अब नया फेवरेट कृषि उत्पाद बन गया है जबकि कुछ वर्ष पूर्व तक किसान इसे भारस्वरूप मान रहे थे।
हैरत की बात है कि कुछ इलाकों में किसान दलहन एवं तिलहन फसलों का रकबा घटाकर मक्का का क्षेत्रफल बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान इस महत्वपूर्ण मोटे अनाज के बिजाई क्षेत्र में भारी बढ़ोत्तरी हुई है।
नवीनतम सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि मक्का का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के मुकाबले 17 प्रतिशत बढ़कर इस बार 98 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। 2023-24 सीजन की तुलना में 2024-25 सीजन के दौरान इसका घरेलू उत्पादन भी 11 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 250 लाख टन के आसपास पहुंच गया था। केन्द्र सरकार मक्का की खेती को काफी बढ़ावा दे रही है। देश में चावल और गेहूं के बाद खाद्यान्न के संवर्ग में मक्का का ही सर्वाधिक उत्पादन होता है।
एथनॉल निर्माण में जोरदार मांग निकलने से पूर्व मक्का का बाजार भाव सुस्त बना रहता था और सरकारी खरीद के अभाव में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे दाम पर अपना उत्पाद बेचने के लिए विवश होना पड़ता था। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। मक्का का घरेलू बाजार भाव प्राय: एमएसपी के आसपास या उससे ऊपर रहता है जिससे किसानों को आकर्षक आमदनी प्राप्त हो रही है।
केन्द्र सरकार ने मक्का का एमएसपी 2024-25 सीजन के 2225 रुपए प्रति क्विंटल से 175 रुपए बढ़ाकर 2025-26 सीजन के लिए 2400 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित कर दिया है।सरकार ने मक्का का घरेलू उत्पादन अगले पांच वर्षों में एक करोड़ टन बढ़ाने का लक्ष्य रखा है ताकि एथनॉल निर्माण के लिए इसका पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध हो सके।

