कोटा। रिद्धि-सिद्धि नगर स्थित श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर परिसर में चल रहे 151 मंडलीय श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं अष्टाह्निका महापर्व के अंतर्गत शनिवार को वैराग्य का नाट्य मंचन, “नेमी की बारात” व महाआरती का भव्य आयोजन श्रद्धा व उत्साह के साथ किया गया।
मंदिर अध्यक्ष राजेंद्र गोधा ने बताया कि सकल दिगंबर जैन समाज के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने शोभायात्रा में सहभागिता की। बारात पदम चंद बनेठा के निवास से प्रारंभ होकर हाउसिंग बोर्ड रोड, कमला उद्यान चौराहा, एग्जॉटिका गार्डन मार्ग होते हुए विधान पांडाल में पहुंची। शोभायात्रा से पूर्व भगवान नेमीनाथ की वैराग्य कथा का नाट्य रूप में भव्य मंचन किया गया, जिसने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।
मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा ने बताया कि सकल समाज के महामंत्री पदम बडला के नेतृत्व में दिगंबर जैन समाज के सैकड़ों लोग 2 नवंबर को प्रातः 6:30 बजे आचार्य प्रज्ञासागर महाराज का श्री अग्रवाल दिगंबर जैन मंदिर, शास्त्री मार्केट से विहार करते हुए रिद्धि-सिद्धि नगर स्थित श्री चन्द्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर में अगुवानी करेंगे।
सिद्धचक्र महामंडल विधान के पांचवें दिन समोशरण में विराजमान गुरु माता विभाश्री ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि सम्यग्दर्शन ही जीवन को सफल बनाने का सबसे बड़ा उपाय है। उन्होंने कहा कि सम्यग्दर्शन से युक्त प्राणी की देवता भी पूजा करते हैं। सम्यग्दर्शन हमारा सबसे बड़ा मित्र है और इसके अलावा इस संसार में कोई भी कल्याण करने वाला नहीं है।
गुरु माता ने श्रावकों को संबोधित करते हुए कहा कि शरीर में आत्मा रूपी हीरा है जो कीमती है, शरीर कीमती नहीं है। उन्होंने कहा कि शरीर को देखकर उसमें ग्लानि मत करो, बल्कि उसके अंदर की आत्मा में जो धर्म विराजमान है, उसका सम्मान करो।

