कोटा। आचार्य प्रज्ञासागर महाराज ने शुक्रवार को अपने मंगल प्रवचन में कहा कि ईश्वर को बाहर कहीं खोजने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि आत्मा के भीतर ‘खोदने’ की जरूरत है। आत्मा ही परमात्मा है।
गुरुदेव ने कहा कि एक राजा ने संसार के विभिन्न ज्ञानियों और आस्तिकों से परमात्मा के बारे में पूछा, लेकिन उसे कहीं परमात्मा नहीं मिला। तब उसने निष्कर्ष निकाला कि परमात्मा नहीं है। किंतु यह सोच गलत है।
गुरुदेव ने समझाया कि जैसे धरती के नीचे पानी होता है और उसे पाने के लिए कंकड़-पत्थर व अन्य बाधाएँ हटानी पड़ती हैं, वैसे ही हमारे भीतर अहंकार रूपी कचरे को हटाना आवश्यक है। जब यह हटेगा तभी सम्यक ज्ञान प्रकट होगा।
विनम्रता ही मार्दव धर्म
प्रज्ञासागर ने कहा कि उत्तम मार्दव धर्म हमें झुकना सिखाता है। जितना आप झुक सकते हैं, उतना ही पा सकते हैं। जमीन खोदने पर 90 डिग्री झुकना पड़ता है, उसी प्रकार मन की सफाई और आत्मा की खुदाई के लिए विनम्रता का झुकाव आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मान कषाय का अभाव ही मार्दव धर्म है। अपनी शक्ति, धन, तप और ज्ञान का घमंड न करें। मन के भाव निर्मल रखें और अहंकार का त्याग करें, यही वास्तविक धर्म है। अध्यक्ष लोकेश जैन ने बताया कि नगरीय विकास विभाग एवं स्वायत मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने गुरुदेव प्रज्ञासागर को श्रीफल भेंट अर्पित किया।

