ईरान ने इस कदम से अमेरिका घुटनों के बल आया; मचा दुनियाभर में हड़कंप, जानिए कैसे

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नई दिल्ली। ईरान की संसद ने हाल ही में होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की मंजूरी दे दी है। हालांकि, अंतिम फैसला सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल लेगी। इससे पूरी दुनिया में तहलका मच गया है। पहले ज्यादातर एक्सपर्ट्स मानते थे कि ईरान इतना आगे नहीं जाएगा।

हालांकि, अमेरिका के एक्शन के बाद हालात बदल चुके हैं। वहीं, अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने चीन से ईरान को जलडमरूमध्य बंद न करने के लिए दबाव डालने को कहा है। रुबियो ने फॉक्स न्यूज पर कहा, मैं बीजिंग में चीनी सरकार से आग्रह करता हूं कि वे उन्हें इस बारे में फोन करें, क्योंकि वे अपने तेल के लिए होर्मुज जलडमरूमध्य पर बहुत अधिक निर्भर हैं।

अगर वे ऐसा करते हैं तो यह एक और भयानक गलती होगी। अगर वे ऐसा करते हैं तो यह उनके लिए आर्थिक आत्महत्या होगी। होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने की धमकी में ऐसा क्या है, जिससे अमेरिका समेत पूरी दुनिया के कान खड़े हो गए हैं।

यूरोप और एशिया के बीच कारोबारी रास्ता है होर्मुज
यह ऐसा जलडमरूमध्य है, जिसका जिक्र प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। यह यूरोप और एशिया के बीच व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग था। होर्मुज जलडमरूमध्य का नाम संभवतः इफेरा हुर्मिज के नाम पर रखा गया है, जो फारस के सुल्तान शापुर द्वितीय की मां थीं, जिन्होंने 309 और 379 ईसवी के बीच शासन किया था। होर्मुज को फारस की खाड़ी का गेट कहा जाता है। यह बात पहली शताब्दी के नाविकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण किताब ‘पेरिप्लस ऑफ द एरिथ्रियन सी’ में कही गई है।

होर्मुज कैसे बन गया ईरान के लिए हथियार
साल 2015 में ईरान ने P5 +1 देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, चीन, रूस और जर्मनी) के साथ अपने परमाणु कार्यक्रम पर संयुक्त व्यापक कार्ययोजना (Joint Comprehensive Plan of Action- JCPOA) के रूप में एक दीर्घकालिक समझौते पर सहमति जताई थी। इस समझौते के तहत ईरान ने अपनी संवेदनशील परमाणु गतिविधियों को सीमित करने और इसके बदले आर्थिक प्रतिबंधों को समाप्त करने पर सहमति जताई थी। वर्ष 2018 में अमेरिका इस समझौते से पीछे हट गया। ईरान अक्सर इस होर्मुज को बंद करने की बात करता रहता है।

होर्मुज जलडमरूमध्य से ही दुनिया को मिलता है तेल
इसे ओरमुज जलडमरूमध्य के नाम से भी जाना जाता है। यह फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है। यह जलडमरूमध्य 95 किमी तक चौड़ा है और ईरान को अरब प्रायद्वीप से अलग करता है। इसमें प्रमुख रूप से कीश्म, होर्मुज और हेंजम (हेंग्म) द्वीप स्थित हैं। सऊदी अरब, ईरान, यूएई, कुवैत और इराक से निर्यात किए जाने वाले अधिकांश कच्चे तेल को इसी जलमार्ग के माध्यम से भेजा जाता है।

होर्मुज दुनिया के लिए कितना मायने रखता है
होर्मुज तेल की वजह से काफी अहम है। अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (EIA) के अनुसार, 2024 और 2025 की पहली तिमाही में होर्मुज जलडमरूमध्य से होने वाला फ्लो कुल वैश्विक समुद्री तेल व्यापार का एक चौथाई से अधिक, वैश्विक तेल और पेट्रोलियम उत्पाद की खपत का लगभग एक-पांचवां हिस्सा था। इसके अलावा, वैश्विक तरलीकृत प्राकृतिक गैस व्यापार का लगभग पांचवां हिस्सा भी 2024 में होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है। यही वजह है कि अमेरिका होर्मुज पर अपना कंट्रोल चाहता है।