इस बार खरीफ सीजन में मक्का का बिजाई क्षेत्र पिछले साल से 10.65 लाख हेक्टेयर बढ़ा

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नई दिल्ली। घरेलू प्रभाग में मांग एवं कीमत मजबूत रहने से उत्साहित भारतीय किसानों द्वारा इस बार मक्का की खेती में जबरदस्त दिलचस्पी दिखाई गई जिससे इसका क्षेत्रफल काफी बढ़ गया इक्का-दुक्का प्रांतों को छोड़कर अन्य सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में मक्का की शानदार बिजाई हुई और क्षेत्रफल बढ़ा है।

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार मौजूदा खरीफ सीजन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर 19 सितम्बर 2025 तक मक्का का उत्पादन क्षेत्र उछलकर 94.95 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 84.30 लाख हेक्टेयर से 10.65 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।

यह उत्पादन क्षेत्र के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर है। महाराष्ट्र में इस बार किसानों ने सोयाबीन एवं कपास का रकबा घटाकर मक्का का क्षेत्रफल बढ़ा दिया। मक्का का घरेलू बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है और किसानों को लाभप्रद दाम पर अपना उत्पाद बेचने में कोई कठिनाई नहीं हो रही है।

हालांकि अमरीका अपने जीएम मक्का का निर्यात भारत में सुनिश्चित करने के लिए साम-दाम दंड भेद की सारी नीतियां अपना रहा है मगर इससे न तो भारत सरकार और न ही कृषक समुदाय विचलित है।

अमरीका के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में मुख्यत: मक्का की वजह से गतिरोध बना हुआ है। इधर घरेलू प्रभाग में एथनॉल निर्माण उद्योग में मक्का की मांग एवं खपत तेजी से बढ़ती जा रही है।

केन्द्र सरकार ने मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) गत वर्ष के 2225 रुपए प्रति क्विंटल से 175 रुपए बढ़ाकर इस बार 2400 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया है जबकि मंडी भाव इससे भी ऊपर है।

मोटे अनाजों के संवर्ग में पिछले साल के मुकाबले चालू खरीफ सीजन के दौरान ज्वार का उत्पादन क्षेत्र 14.14 लाख हेक्टेयर से फिसलकर 14.07 लाख हेक्टेयर पर अटक गया जबकि बाजरा का बिजाई क्षेत्र 68.07 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 68.44 लाख हेक्टेयर तथा रागी का रकबा 10.52 लाख हेक्टेयर से 6.6 प्रतिशत बढ़कर 11.21 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।

मोटे अनाजों की फसल आमतौर पर संतोषजनक स्थिति में बताई जा रही है मगर कहीं-कहीं इसे बाढ़-वर्षा से नुकसान होने की खबर भी है। अगले महीने से इसके नए माल की जोरदार आवक शुरू हो जाने की उम्मीद है।