इस बार खरीफ सीजन में फसलों का रकबा 1116 लाख हेक्टेयर के रिकॉर्ड स्तर पर

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नई दिल्ली। दक्षिण-पश्चिम मानसून के जल्दी आने तथा शुरूआती चरण में अच्छी वर्षा होने से किसानों को अगैती बिजाई करने का अवसर मिलने से ऐसा लग रहा था कि इस वर्ष खरीफ फसलों के उत्पादन क्षेत्र में जबरदस्त बढ़ोत्तरी होगी लेकिन बीच-बीच में कुछ धान पैदा होने के कारण बिजाई की गति धीमी पड़ गई और किसानों का ध्यान कुछ खास फसलों की खेती पर केन्द्रित हो गया।

इसके फलस्वरूप खरीफ फसलों का कुल रकबा गत वर्ष से केवल 1 प्रतिशत ही बढ़ सका। फसलों की बिजाई का अभियान समाप्त हो चुका है। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के साप्ताहिक आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वर्ष में 19 सितम्बर तक खरीफ फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 1115.86 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जो गत वर्ष की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 1100.42 लाख हेक्टेयर तथा पंचवर्षीय औसत क्षेत्रफल 1097 लाख हेक्टेयर से अधिक है।

पिछले साल के मुकाबले मौजूदा खरीफ सीजन के दौरान मक्का के बिजाई क्षेत्र में सर्वाधिक 10.65 लाख हेक्टेयर या 12.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ। पिछले साल 19 सितम्बर वाले सप्ताह के दौरान 11.40 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई हुई थी

जबकि इस बार, 15 हजार हेक्टेयर में ही इसकी रोपाई संभव हो सकी। अन्य खरीफ फसलों की बिजाई पहले ही पूरी हो चुकी थी और केवल धान की खेती हो रही थी। वह भी लगभग समाप्त हो गई।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान धान का उत्पादन क्षेत्र 430.06 लाख हेक्टेयर के नए रिकॉर्ड स्तर पर तथा दलहनों का बिजाई क्षेत्र 118.40 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 119.29 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा।

दलहन फसलों में उड़द का रकबा तो बढ़ गया मगर तुवर एवं मूंग के क्षेत्रफल में गिरावट आ गई। मोटे अनाजों का उत्पादन क्षेत्र मक्का की वजह से बढ़कर 194.01 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा मगर तिलहनों का बिजाई क्षेत्र 2.7 प्रतिशत घटकर 194.67 लाख हेक्टेयर पर अटक गया।