आयात पर रोक एवं ऊंचे एमएसपी से इस बार मूंग के बिजाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी

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नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन के दौरान जहां एक ओर तुवर एवं उड़द का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से पीछे चल रहा है वहीं दूसरी तरफ मूंग के बिजाई क्षेत्र में बढ़ोतरी देखी जा रही है।

इसके को कारण हैं। एक तो फरवरी 2022 से ही मूंग के आयात पर प्रतिबंद लगा हुआ है और दूसरे, सरकार ने इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर 8768 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है जो सभी दलहनों में सबसे ऊंचा है।

मूंग की सरकारी खरीद भी अच्छी होती है। 1 अगस्त तक की अवधि के अनुरूप गत वर्ष की तुलना में मौजूदा खरीफ सीजन के दौरान तुवर का उत्पादन क्षेत्र 6.6 प्रतिशत तथा उड़द का बिजाई क्षेत्र 2.1 प्रतिशत पीछे चल रहा था मगर मूंग का क्षेत्रफल 3.2 प्रतिशत आगे था।

भारत में तुवर, उड़द एवं पीली मटर का शुल्क मुक्त आयात हो रहा है और चना तथा मसूर के आयात पर भी महज 10-10 प्रतिशत का सीमा शुल्क लागू है। व्यापार विश्लेषकों के अनुसार किसानों को लगता है कि तुवर एवं उड़द का शुल्क मुक्त आयात आगामी समय में उसकी आमदनी को प्रभावित कर सकता है लेकिन लेकिन मूंग के मामले में ऐसा नहीं होगा वर्तमान समय में देसी चना को छोड़कर अन्य सभी प्रमुख दलहनों का खुला बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चल रहा है।

आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले सप्ताह (5 अगस्त को) उड़द का भाव 7000 रुपए प्रति क्विंटल (एमएसपी 7800 रुपए प्रति क्विंटल), मूंग का भाव 7100 रुपए (8768 रुपए), तुवर का दाम 6600 रूपए (8000 रुपए) तथा मसूर का मूल्य 6600 रुपए (6700 रुपए) प्रति क्विंटल चल रहा था। केवल चना का भाव 5650 रुपए के एमएसपी से ऊपर 6000 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा था।

1 अगस्त 2025 तक मूंग का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से 3.2 प्रतिशत बढ़कर 32.10 लाख हेक्टेयर के करीब पहुंच गया जो 35.60 लाख हेक्टेयर के सामान्य औसत क्षेत्रफल का करीब 90 प्रतिशत है। भारत में प्रति वर्ष औसतन 35-37 लाख टन मूंग का उत्पादन होता है। देश के अनेक राज्यों में इसकी खेती होती है और इसका उत्पादन खरीफ रबी एवं जायद- तीनों सीजन में होता है।

इसके अलावा देश में 36-37 लाख टन तुवर, 2025 लाख टन उड़द, 16-17 लाख टन मसूर तथा 80-85 लाख टन चना का भी उत्पादन होता है। इस बार देश के सबसे प्रमुख मूंग उत्पादक प्रान्त- राजस्थान में इस दलहन फसल की बिजाई में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है। वहां इसका क्षेत्रफल गत वर्ष के 21.60 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस बार 23.20 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।