कोटा। आचार्य प्रज्ञासागर महाराज का मंगल प्रवेश विस्तार योजना स्थित दिगम्बर जैन मंदिर में बड़े ही हर्ष, उल्लास और श्रद्धा के साथ हुआ। गाजे-बाजे और जयकारों के बीच दिगम्बर जैन समाज के श्रद्धालुओं ने गुरु का स्वागत किया। इस अवसर पर
अपने प्रेरणादायी प्रवचन में आचार्य प्रज्ञासागर ने कहा कि आज मनुष्य शरीर की चिंता में तो उलझा है, पर आत्मा की चिंता करना भूल गया है। उन्होंने कहा कि जिसकी चिंता होती है, उसके लिए ही समय होता है। सर्वश्रेष्ठ चिंता आत्मा की होती है, दूसरों की चिंता करना अधर्म है।
उन्होंने आत्मचिंतन का महत्व बताते हुए कहा कि हमें यह सोचना चाहिए कि हमने आज कितना आत्मावलोकन किया, कितनी बार परनिंदा से दूरी बनाई। सुधार की शुरुआत सदैव उस व्यक्ति से होनी चाहिए जो दर्पण में दिखाई देता है।
आचार्य श्री ने कहा कि मृत्यु से कोई नहीं बच सकता। जब तक शरीर स्वस्थ है, तब तक मोक्षमार्ग पर चलना प्रारंभ कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि जीवन का ट्रैक संसार मार्ग से मोक्षमार्ग की ओर मोड़ दिया जाए, तो दिशा और दशा दोनों परिवर्तित हो जाएंगी। मोह और मद के भ्रम से बाहर निकलकर आत्मा की शुद्धि का प्रयास ही जीवन का सच्चा प्रयोजन है।

