कोटा। World Schizophrenia Day Seminar: अग्रवाल न्यूरो साइकेट्री सेंटर एवं होप सोसायटी की ओर से विश्व स्किजोफ्रेनिया दिवस पर शनिवार को जवाहर नगर स्थित सोसायटी कार्यालय पर जन संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डाॅ. एमएल अग्रवाल ने कहा कि मानसिक रोगी का मतलब सदैव पागलपन से नहीं होता है। स्किजोफ्रेनिया भी अन्य बीमारियों की तरह ही होती है। यह रोग मनुष्य के विचार और अनुभूतियों पर प्रभाव डालता है। जिसमें तार्किक शक्ति कमजोर होने लगती है।
यह बीमारी सदैव से मानव में पाई जाती है और चरक संहिता में भी इसका वर्णन मिलता है। इस समय देश में 80 प्रतिशत आत्महत्याएं मनोरोग के कारण से होती हैं। रोगी को समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण से प्रत्येक 40 मिनट में मनोरोग से पीड़ित एक व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है। जिन्हें समय पर इलाज के द्वारा बचाया जा सकता है। यह आत्महत्या ही नहीं बल्कि तलाक का कारण भी बन सकता है।
डाॅ. अग्रवाल ने कहा कि मेडिकल फील्ड में सर्वाधिक भ्रांतियां मनोरोग को लेकर ही हैं। आमतौर पर लोग ऐसी बीमारियों में ऊपरी हवा का असर मानकर झाडफूंक कराते रहते हैं और साल छह माह बीत जाने के बाद चिकित्सकीय परामर्श के लिए आते हैं। ऐसे रोगी स्वयं को बीमार मानने से भी कतराते हैं और इलाज को लेने में भी अधिक दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं।
इस तरह के लोगों में किन्हीं बातों को लेकर इतना बड़ा भ्रम होता हैं कि वह उन्हें ही सच मानने लगते हैं। ऐसे लक्षण वाले व्यक्ति को आगे चलकर स्क्रिझोफ्रेनिया हो जाता हैं। किसी व्यक्ति के जीवन में थोड़ी उदासी स्वाभाविक हैं, किन्तु जब ऐसी स्थिति स्थायी रूप लें लें तो यह डिप्रेशन का लक्षण हो सकता हैं।
डाॅ. आरसी गुप्ता ने कहा कि इस प्रकार की बीमारी में मरीज के लिए तनावमुक्त वातावरण बहुत जरूरी है। इसमें पारिवारिक सदस्यों की भूमिका बहुत अहम हो जाती है। डॉ. अजीत शर्मा ने कहा कि जब डिप्रेशन बढ़ जाता हैं तब मरीज आत्महत्या तक कर लेता हैं।
डॉ. गिरधर गुप्ता ने कहा कि कभी-कभी कोई बात भूल जाना सामान्य बात हैं। उम्र बढ़ने के साथ व्यक्ति के ब्रेन की सेल्स सिकुड़कर छोटी होने लगती हैं। इससे उसकी वर्किंग कैपेसिटी पर भी असर होता हैं। आगे जा कर उस व्यक्ति को शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस की समस्या भी होने लगती हैं। इस स्थिति में व्यक्ति आधे घंटे पहले मिलने वाले व्यक्ति का नाम भी भूल जाता हैं।
देश में करीबन 1.40 करोड स्किजोफ्रेनिया के रोगी
डॉ. एमएल अग्रवाल ने कहा कि देश में करीबन 1 करोड 40 लाख स्किजोफ्रेनिया के रोगी मौजूद हैं। ऐसे में, इस बीमारी के बारे में लोगों में जागृति होना आवश्यक है। लोगों के बीच इस बीमारी से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए ही संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। इस दौरान डॉ. हर्षा आकोदिया, हॉप सोसायटी की प्रमिला, नटवर लाल, चेतन समेत कईं लोग मौजूद रहे। इस अवसर पर आयोजित प्रश्नोत्तरी में उत्तर देने वालों को पुरस्कृत किया गया।

