कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे चातुर्मास के दौरान मंगलवार को गणिनी प्रमुख आर्यिका विभाश्री माताजी ने तत्वार्थ सूत्र कक्षा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि संसार में किसी को सुख प्राप्त होता है तो यह उसके साता वैदनीय कर्म के उदय का परिणाम है।
यदि किसी को दुःख मिलता है तो यह असाता वैदनीय कर्म के उदय का फल है। उदाहरण स्वरूप उन्होंने बताया कि यदि सास बहू को दुःख देती है, तो यह सास का दोष नहीं, बल्कि बहू के असाता वैदनीय कर्म का उदय है। माताजी ने स्पष्ट किया कि यदि हमारे असाता वैदनीय कर्म का उदय ही न हो, तो संसार की कोई शक्ति हमें बुरा नहीं कर सकती।
विभाश्री माताजी ने आगे कहा कि भगवान की दिव्य वाणी ही धर्म का वास्तविक सहारा है। भगवान महावीर स्वामी का शासन केवल उनके केवलज्ञान से ही नहीं, बल्कि उनकी दिव्य वाणी से भी व्यापक हुआ। यह वाणी तृतीय लोकों तक के प्राणियों को तत्व का उपदेश देने में समर्थ है।

