कोटा। जैन धर्म के अष्टाह्निका महापर्व के पावन अवसर पर प्रज्ञालोक में बुधवार को 151 मंडलीय श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का भव्य आयोजन संपन्न हुआ। यह दिव्य अनुष्ठान आचार्य प्रज्ञासागर महाराज के मंगल सान्निध्य में संपन्न हुआ।
गुरू आस्था परिवार के अध्यक्ष लोकेश जैन एवं महामंत्री नवीन जैन दौराया ने बताया कि इस विशेष धार्मिक आयोजन में श्रद्धालुओं ने गहन भक्ति और उत्साह के साथ भाग लिया। विधान के दौरान कुल 2500 अर्घ्य समर्पित किए गए, जिससे वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा और श्रद्धा का भाव व्याप्त रहा। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 6:30 बजे जिनाभिषेक और शांतिधारा के साथ हुआ, जिसके बाद 7:00 बजे से महामंडल विधान प्रारंभ हुआ।
आचार्य प्रज्ञासागर महाराज ने अपने प्रेरणादायी प्रवचन में कहा कि जैन धर्म में सिद्धचक्र विधान का अत्यंत आध्यात्मिक और दार्शनिक महत्व है। ‘सिद्ध’ का अर्थ है कृत्य-कृत्य, ‘चक्र’ का अर्थ समूह और ‘मंडल’ का अर्थ वृताकार यंत्र। इस विधान में मंत्रों और बीजाक्षरों की स्थापना के माध्यम से दिव्य शक्तियों का आह्वान किया जाता है। यह आराधना समस्त सिद्ध समूहों की साक्षी में की जाती है, जो हमारे मनोरथों की पूर्ति और आत्मशुद्धि का माध्यम बनती है।
उन्होंने कहा कि अष्टाह्निका महापर्व जैन दर्शन का अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो आत्मशुद्धि, संयम और साधना की भावना को प्रबल करता है। विधान उपरांत आचार्य प्रज्ञासागर महाराज संघ का मंगल विहार प्रज्ञालोक,महावीर नगर प्रथम से श्री अग्रवाल दिगंबर जैन मंदिर शास्त्री मार्केट की ओर हुआ। मार्ग में श्रद्धालुओं ने कई स्थानों पर पादप्रक्षालन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

