अमेरिका भारी मंदी के कगार पर, भारत समेत कई देश होंगे प्रभावित: मूडीज

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नई दिल्ली। मूडीज एनालिटिक्स के मुख्य अर्थशास्त्री मार्क जांडी ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए अब तक की सबसे गंभीर मंदी की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि राष्ट्रीय आंकड़े भले ही ठीक दिख रहे हों, लेकिन क्षेत्रीय और नौकरी से जुड़े आंकड़े गहरी कमजोरी दिखा रहे हैं।

यह चेतावनी सरकार के आकलन से बिल्कुल उलट है। जांडी के अनुसार, अमेरिका का लगभग एक-तिहाई जीडीपी उन राज्यों से आता है, जो या तो पहले से ही मंदी में हैं या इसके बहुत करीब पहुंच चुके हैं।

उत्तर-पूर्व, मध्य-पश्चिम और वाशिंगटन डीसी क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जहां सरकारी नौकरियों में कटौती हो रही है। इस साल जनवरी से मई तक वाशिंगटन डीसी में 22,100 सरकारी नौकरियां खत्म की गई हैं। यह कटौती ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद शुरू की गई थी। दूसरा एक तिहाई हिस्सा स्थिर है, जबकि बाकी एक तिहाई में वृद्धि हो रही है।

जांडी का कहना है कि दक्षिणी राज्य आगे बढ़ रहे हैं, पर रफ्तार धीमी हो रही है। जांडी ने मंदी या मंदी के जोखिम वाली श्रेणी में अमेरिका के 22 राज्यों को रखा है। स्थिर लेकिन कमजोर राज्यों की श्रेणी में 13 राज्य हैं। जांडी के मुताबिक, पिछले माह अमेरिका में केवल 73,000 नई नौकरियां सृजित हुईं, जो उम्मीद से बहुत कम हैं। मई व जून के आंकड़े भी संशोधित किए गए हैं, जिससे तीन महीने की औसत नौकरी वृद्धि केवल 35,000 रह गई है। 400 उद्योगों में आधे से ज्यादा में नौकरियां कम हो रही हैं, जो इतिहास में मंदी का संकेत रहा है।

दुनिया और भारत पर ये होगा असर
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते अमेरिका में मंदी का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी दिखेगा। दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट आ सकती है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में रुकावट आने से वैश्विक व्यापार और कमजोर हो सकता है। वहीं दूसरी ओर, वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेजी से आगे बढ़ रहे भारत भी अमेरिकी मंदी से अछूता नहीं रहेगा।

भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्र, जैसे सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स और कपड़ा, अमेरिकी बाजार पर बहुत हद तक निर्भर हैं। अमेरिका में मांग घटने से इन क्षेत्रों में निर्यात कम हो सकता है, जिससे भारतीय कंपनियों की आय प्रभावित होगी। इसके अलावा, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में रुकावटें भारतीय निर्यातकों के लिए चुनौतियां बढ़ा सकती हैं। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में कमी भी भारत की आर्थिक वृद्धि को प्रभावित कर सकती है।

विनिर्माण क्षेत्र में लगातार छठे महीने गिरावट
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की ओर से दूसरे देशों के खिलाफ लगाए गए भारी भरकम टैरिफ का दुष्प्रभाव अमेरिकी विनिर्माण क्षेत्र पर नजर आने लगा है। अगस्त में अमेरिकी विनिर्माण क्षेत्र में लगातार छठे महीने गिरावट दर्ज की गई। फैक्ट्रियों को ट्रंप प्रशासन के आयात शुल्कों से निपटना पड़ रहा है। कुछ कारोबारियों ने वर्तमान स्थिति को महामंदी से भी अधिक खराब करार दिया है।

इंस्टीट्यूट फॉर सप्लाई मैनेजमेंट (आईएसएम) की तरफ से मंगलवार जारी सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ निर्माताओं ने शिकायत की है कि अत्यधिक आयात शुल्क के कारण अमेरिका में वस्तुओं के निर्माण करना मुश्किल हो रहा है।

सेंटेंडर यूएस कैपिटल मार्केट्स के मुख्य अमेरिकी अर्थशास्त्री स्टीफन स्टेनली ने कहा, मैं व्यापक अर्थव्यवस्था को, तथा विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र को टैरिफ संबंधी अनिश्चितता के समाप्त होने तक स्थिर स्थिति में ही देखता हूं।

कागज से मशीनरी तक 10 उद्योगों में गिरावट आईएसएम ने बताया कि उसका विनिर्माण पीएमआई जुलाई के 48.0 से बढ़कर पिछले महीने 48.7 हो गया। पीएमआई का 50 से नीचे का स्तर विनिर्माण क्षेत्र में संकुचन दर्शाता है, जिसका अर्थव्यवस्था में 10.2 फीसदी योगदान है। अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया था कि पीएमआई बढ़कर 49.0 हो जाएगा। जिन 10 उद्योगों में गिरावट दर्ज की गई, उनमें कागज उत्पाद, मशीनरी, विद्युत उपकरण, उपकरण और कलपुर्जे के साथ ही कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद बनाने वाले उद्योग भी शामिल हैं।
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