अमेरिका के बुने जाल में कैसे फंस गया भारत, जानिए डोनाल्ड ट्रंप की चाल

0
1047

नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई में अमेरिका अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी चीन को नियंत्रित करने के लिए भारत का इस्तेमाल कर रहा है। वह भारत को अपना मोहरा बना रहा है। अमेरिका जानता है कि भारत पहले से ही दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

भारत 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। मगर, भारत कहीं अमेरिका को ही चुनौती न दे दे, इसलिए अमेरिका पाकिस्तान कार्ड भी खेल रहा है। पूरी बात समझते हैं।

यूरेशियन टाइम्स पर छपे एक लेख में कहा गया है कि भविष्य में भारत सीधे तौर पर अमेरिका को चुनौती न दे, इसलिए अमेरिका भारत को नियंत्रित करने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल कर रहा है। वहीं, पाकिस्तान को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका अफगानिस्तान का इस्तेमाल कर रहा है।

इसके अलावा, अफगानिस्तान को असंतुलित रखने के लिए तालिबान से भी निपट रहा है। दरअसल, अमेरिका यह सुनिश्चित कर रहा है कि एक पक्ष को दूसरे के खिलाफ खड़ा कर रहा है, ताकि पूरा क्षेत्र खतरे में रहे। साथ ही यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि प्रत्येक पक्ष अमेरिका पर निर्भर हो।

सोवियत संघ के पतन के बाद अमेरिका कम से कम दो दशकों तक एकध्रुवीय स्थिति में रहा। हालांकि, 2010 के बाद हालात बदलने लगे, जब चीन का सकल घरेलू उत्पाद जापान से आगे निकल गया और उसकी बेल्ट एंड रोड पहल ने अपना प्रभाव बढ़ाया।

ओबामा प्रशासन की एशिया की धुरी नीति के तहत अमेरिका ने मुख्य रूप से चीन के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र की ओर संसाधनों का पुनर्संतुलन शुरू किया। यह टैरिफ और निर्यात नियंत्रण के ट्रंप के पहले कार्यकाल और जो बाइडेन के कार्यकाल के तहत तकनीकी प्रतिबंधों और गठबंधनों के साथ विकसित हुआ।

अमेरिका ने नाम बदलकर भारत को जाल में फंसाया
लेख के अनुसार, अमेरिका ने माना कि प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को सीमित करना उसके वैश्विक प्रभाव को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है। इस रणनीति के तहत अमेरिका ने एशिया-प्रशांत का नाम बदलकर हिंद-प्रशांत कर दिया, ताकि इस बात पर जोर दिया जा सके कि इस क्षेत्र में भारत की समान हिस्सेदारी है और चीन प्रशांत क्षेत्र को अपना पिछला हिस्सा नहीं समझ सकता।