नई दिल्ली। कोई भी कार कितनी सेफ है? इस बात का पता उसकी NCAP रेटिंग से चलता है। दुनियाभर में कई अलग-अलग देशों के हिसाब से कारों को NCAP सेफ्टी रेटिंग दी जाती है। जैसे, भारत में BNCAP रेटिंग, यूरोप में ENCAP रेटिंग और GNCAP रेटिंग दी जाती है।
समय के साथ NCAP रेटिंग के नॉर्म्स में कई बदलाव भी हो रहे हैं, ताकि कार की सेफ्टी और भी बेहतर हो जाए। खास बात ये है कि यूरोप में 90% ग्राहक कार खरीदने से पहले NCAP रेटिंग जरूर चेक करते हैं। हालांकि, अपडेटेड यूरो NCAP सेफ्टी असेसमेंट प्रोटोकॉल के साथ 2026 के बाद से 5-स्टार रेटिंग हासिल करना मुश्किल होने वाला है।
यूरो NCAP के अपडेटेड 2026 सेफ्टी असेसमेंट प्रोटोकॉल अलग-अलग लोगों की बेहतर सेफ्टी पर फोकस्ड हैं। ये ज्यादा मजबूत ADAS को अनिवार्य करते हैं, जो रियल वर्ल्ड के परिदृश्यों में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। हालांकि, व्हीकल इंटरफेस में फिजिकल कंट्रोल की आवश्यकता के बारे में यूरो NCAP के गाइडलाइन कार निर्माताओं के लिए चिंता का सब्जेक्ट हैं।
इस टेस्टिंग में मैक्सिमम पॉइंट प्राप्त करने के लिए कारों में हॉर्न, टर्न सिग्नल, हैजर्ड लाइट, विंडशील्ड वाइपर और आपातकालीन SOS जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए फिजिटक बटन, डायल या स्टॉल होने चाहिए। ये कंट्रोल को आसान और क्लियर रूप से दिखाई देने योग्य हों। यूरो NCAP के नए प्रोटोकॉल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि ड्राइव का ध्यान विंडशील्ड पर केंद्रित रहे।
फिजिकल बटनों को अनिवार्य करने का तर्क स्टडी पर आधारित है। स्टडी बताी है कि सड़क से 2 सेकंड के लिए भी नजरें हटाने से सामने या पीछे से टक्कर हो सकती है। टचस्क्रीन सुरक्षा जोखिम बढ़ा सकते हैं, क्योंकि वे प्रत्येक कार्य में 5 से 40 सेकंड तक ध्यान भटका सकते हैं।
यदि टच प्रतिक्रिया नहीं है, तो बार-बार देखने से सड़क से ध्यान और भी हट जाता है। दुर्घटना के आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 के बाद से यूरोपीय संघ में ध्यान भटकाने वाली दुर्घटनाओं में 20% की वृद्धि हुई है।
यूरो NCAP का फिजिकल बटनों पर ध्यान केंद्रित करना कार निर्माताओं के लिए एक चुनौती हो सकती है। अधिकांश कार निर्माताओं ने क्लीन इंटीरियर को अपनाया है, जिसका मतलब है फिजिकल बटनों का न्यूनतम उपयोग किया है। अधिकांश कंट्रोल टचस्क्रीन पर ट्रांसफर कर दिए गए हैं।
फिजिकल बटनों पर वापस लौटने के लिए हार्डवेयर को फिर से डिजाइन करने और सप्लाई सीरीज में एडजेस्टमेंट की आवश्यकता होगी। इससे लागत बढ़ सकती है और नए मॉडलों की लॉन्च समयसीमा बढ़ सकती है।

