कोटा। गुरु आस्था परिवार कोटा के तत्वावधान में तथा सकल दिगंबर जैन समाज कोटा के आमंत्रण पर चल रहे चातुर्मास में ब्रह्मचारिणी डॉ. प्रभा दीदी ने प्रवचन में कहा कि “यदि दृष्टि निर्मल नहीं है तो देव, गुरु और शास्त्र का वास्तविक दर्शन संभव नहीं होता।”
उन्होंने जीवन को एक कोरे कागज़ से तुलना करते हुए कहा कि मनुष्य चाहे तो इसे गलतियों से बिगाड़ सकता है और चाहे तो सत्कर्मों से आदर्श बना सकता है। दीदी ने कहा कि मनुष्य मिट्टी की तरह है, उसे साधारण कुल्हड़ का रूप दिया जा सकता है या मंगल कलश की तरह पूजनीय बनाया जा सकता है। उसी प्रकार पत्थर भी भगवान की प्रतिमा बन सकता है या ठोकर खाने लायक पत्थर मात्र रह सकता है। जीवन का स्वरूप हमारे ही हाथों में है।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक अक्षर एक शास्त्र है और औषधि है, यदि उसे योग्य आचार्य का मार्गदर्शन मिले। प्रज्ञा सागर जैसे जैनाचार्य की छत्रछाया में मनुष्य स्वयं भगवान बनने की यात्रा पर अग्रसर हो सकता है। किंतु दुख की बात है कि हम प्रातः 5 बजे पूजा और शांतिधारा के लिए नहीं उठते, लेकिन यदि रात में गुलाब जामुन का नाम ले लिया जाए तो तत्परता से उठ बैठते हैं। यह मन का असंतुलन है, जिसे साधना के द्वारा काबू में करना आवश्यक है।
डॉ. प्रभा दीदी ने कहा कि आचार्य प्रज्ञा सागर वात्सल्य और करुणा की मूर्ति हैं। किंतु हम उनसे सीखने का प्रयास नहीं करते। आज मनुष्य प्रेम और दया जैसे गुणों को खो रहा है, जबकि ये गुण पशुओं में भी पाए जाते हैं।
उन्होंने पर्यावरण संरक्षण पर बल देते हुए कहा कि “हम मंगलाचरण में हरित धरती की कामना करते हैं, किंतु पेड़ काटने से संकोच नहीं करते। गुरुदेव ने एक करोड़ पेड़ लगाने का संकल्प लिया है, हमें भी उनके इस संकल्प में सहभागी बनना चाहिए।”
प्रवचन में दीदी ने धर्म में प्रवेश के लिए सरल और व्यावहारिक सूत्र बताते हुए अंग्रेज़ी शब्द WATCH की परिभाषा दी—W = Watch Your Words (अपने शब्दों पर ध्यान दें) A = Watch Your Actions (अपने कर्मों पर ध्यान दें), T = Watch Your Thoughts (अपने विचारों पर ध्यान दें), C = Watch Your Character (अपने चरित्र पर ध्यान दें), H = Watch Your Habits (अपनी आदतों पर ध्यान दें।

