कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में रविवार को आयोजित धर्मसभा में गणिनी प्रमुख आर्यिका विभाश्री माताजी ने अपने प्रवचन में कहा कि चार माह की साधना एवं पंचाध्यायी की परीक्षा पूर्ण होने पर साधना का सार आत्मचिंतन और संयम ही है।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सिद्धिदायक भगवान महावीर स्वामी ने अपने अंतिम उपदेश से जगत को मोक्षमार्ग का संदेश दिया, उसी भावना से हमें भी अपने जीवन में आत्म-साधना का संकल्प लेना चाहिए।
माताजी ने कहा कि धन्य तेरस का दिन भगवान महावीर के अंतिम दिव्य उपदेश का स्मरण कराने वाला है। यह दिन आत्मज्योति प्रज्वलित करने का प्रतीक है। भगवान महावीर ने इसी दिन योग निरोध की ध्यान साधना में प्रवेश किया था। इसलिए धन्य तेरस से लेकर दीपावली तक के तीन दिनों को आत्म-मनन, साधना और रिद्धि-मंत्र जप में बिताना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चार महीने की तपस्या, सेवा और साधना से आत्मा को निर्मलता की प्राप्ति होती है। यही सच्ची दीपावली है, जब भीतर का अंधकार मिटे और आत्मा का प्रकाश प्रकट हो।सभा का संचालन आर्यिका विनयश्री माताजी ने किया। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
दीपक सजाओ प्रतियोगिता में रिया छाबड़ा रही प्रथम
महामंत्री अनिल जैन ठोरा ने बताया कि दीपक सजाओ प्रतियोगिता में रिया छाबड़ा ने प्रथम, सुनीता ठोरा ने द्वितीय तथा हेमंत जैन और आकांक्षा जैन ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। सभी विजेताओं को समिति की ओर से पुरस्कार प्रदान किए गए तथा सभी 36 प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। तत्त्वार्थ सूत्र की नियमित कक्षा में अध्ययन करने वाले 217 साधकों को राजेश-सोनल सेठिया द्वारा पुरस्कृत किया गया।
योग और आयोजन में विशेष सहयोग देने वाले रोहित ठाई, हेमंत जैन, अभिषेक जैन ठग, विपुल गोधा, पी.के. हरसोरा, अमित जैन चिकू, सौरभ धनोपिया, पवन ठाई, रानी सोगानी, इंदिरा जैन ठोरा, मनोरमा बावरिया, हर्षा कोटिया, चंद्रप्रकाश कोटिया, अनीता डूंगरवाल, दिनेश धनोत्या को समिति द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

