नई दिल्ली। गोल्ड का आयात चालू कारोबारी साल में अप्रैल से फरवरी तक की अवधि में 8.86 फीसदी घटकर 27 अरब डॉलर (करीब 1.90 लाख करोड़ रुपए) का रहा। पिछले कारोबारी साल की समान अवधि में भारत में 29.62 अरब डॉलर के गोल्ड का आयात हुआ था। चालू खाता घाटा के लिहाज से गोल्ड का आयात देश के लिए एक अहम मुद्दा है। इससे बड़े पैमाने पर भारत से फॉरेक्स (विदेशी मुद्रा) बाहर चला जाता है।
इसलिए सरकार गोल्ड आयात कम करने की कोशिश कर रही है। उदाहरण के लिए गोल्ड बांड इसलिए लाया गया ताकि लोग फिजिकल गोल्ड कम खरीदें और देश का चालू खाता घाटा भी कम हो। इसलिए गोल्ड का आयात घटना देश की आर्थिक सेहत के लिए अच्छी बात है। गोल्ड आयात कम करने के लिए सरकार ने इसके आयात पर शुल्क भी बढ़ाया है।
वाणिज्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक आलोच्य अवधि में गोल्ड आयात में 2.62 अरब डॉलर की कमी आई। यानी इस दौरान देश से 19,377 करोड़ रुपए के बराबर विदेशी मुद्रा बाहर नहीं गई। यानी चालू खाता घाटा के मोर्चे पर इतने का फायदा हुआ।
चालू खाता घाटा क्या है?
विदेशी व्यापार में विदेशी मुद्रा या तो देश से बाहर जाती है या दूसरे देश से अपने देश में आती है। यदि भारत से 100 डॉलर मूल्य की विदेशी मुद्रा बाहर गई और सिर्फ 90 डॉलर मूल्य की विदेशी मुद्रा दूसरे देश से भारत आई, तो इसका मतलब यह हुआ कि भारत को 10 डॉलर का चालू खाता घाटा हुआ।
व्यापार घाटा भी कम हुआ
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गोल्ड का आयात घटने से व्यापार घाटा भी कम हुआ। आलोच्य अवधि में व्यापार घाटा 143.12 अरब डॉलर का हुआ। पिछले कारोबारी साल की समान अवधि में देश को 173 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ था।
दिसंबर से ही गोल्ड आयात घट रहा है
गोल्ड आयात में दिसंबर 2019 से ही गिरावट दिख रही है। भारत गोल्ड का सबसे बड़ा आयातक है। मुख्य रूप से आभूषण उद्योग के लिए गोल्ड का आयात होता है। देश में हर साल 800-900 टन गोल्ड का आयात होता है।
आयात कम करने के लिए सरकार ने शुल्क बढ़ाया
चालू खाता घाटा पर पड़ने वाले नकारात्मक असर को कम करने के लिए सरकार ने गोल्ड पर आयात शुल्क को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया है। हालांकि जानकार कहते हैं कि सरकार के इस कदम के बाद उद्यमी मैन्यूफैक्चरिंग के काम को भारत से हटाकर पड़ोसी देशों में ले जा रहे हैं। उद्योग ने सरकार ने गोल्ड आयात शुल्क को घटाकर 4 फीसदी करने की मांग की है।