50 डॉलर के नीचे पहुंचा कच्चा तेल, जुलाई 2017 के बाद सबसे निचला स्तर

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नई दिल्ली।लंदन में जुलाई 2017 के बाद पहली बार कच्चे तेल की कीमत 50 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ गई। ऐसा दुनियाभर के फाइनैंशल मार्केट्स में जारी उतार-चढ़ाव के कारण हुआ है। इससे तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक के साथ-साथ अन्य देशों ने तेल उत्पादन में कटौती का ऐलान किया था, जिससे तेल के दाम बढ़ने की आशंका जताई जाने लगी थी। लेकिन, अब इसके उलटा हो रहा है।

बुधवार को फ्यूचर मार्केट में कच्चे तेल की कीमत 1.1% गिर गई। सोमवार को इसमें 6.2% की गिरावट दर्ज की गई थी। रूस के एनर्जी मिनिस्टर अलेक्जेंडर नोवाक ने निवेशकों को यह कहकर भरोसा दिलाने की कोशिश की कि ओपेक और इसके सहयोगी देशों के बीच तेल उत्पादन में कटौती को लेकर बनी सहमति की वजह से 2019 की पहली छमाही में ऑइल मार्केट में स्थिरता आएगी। उन्होंने कहा कि अगर हालात बदले तो तेल उत्पादक देश उचित कदम उठाएंगे।

अक्टूबर महीने में चार वर्ष के सर्वोच्च स्तर पर जाने के बाद कच्चे तेल की कीमतें 40 प्रतिशत घट चुकी हैं। तेल निर्यातक देशों के संगठन और रूस समेत इसके सहयोगियों ने 6 दिसंबर की बैठक में तेल कटौती पर रजामंदी जाहिर की थी। इससे निवेशकों को डर सताने लगा कि यह फैसला अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का अभाव पैदा करने के लिए काफी है। लेकिन, अमेरिका रेकॉर्ड स्तर पर तेल उत्पादन करने लगा, जिससे यह डर काफूर होता दिख रहा है।