नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अनुपालन में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योगों (एमएसएमई) की मदद के लिए सरकार ने 100 करोड़ रुपये अलग रखे हैं। एमएसएमई मंत्रालय ने कहा कि नकदी का स्थानांतरण कंपनियों को नहीं किया जाएगा, बल्कि इसका इस्तेमाल हेल्प डेस्क, जागरूकता कैंप और इस तरह का बुनियादी ढांचा बनाने में किया जाएगा।
इस योजना का विस्तृत ब्योरा अभी तैयार किया जाना है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि उम्मीद की जा रही है कि इस कार्यक्रम के माध्यम से जागरूकता का प्रसार व फर्मों में कराधान मानकों व अंकेक्षण को अद्यतन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए 100 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
सरकार ने विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं पर लगने वाले कर के मुताबिक उन्हें चार ढांचों में रखा है। इस क्षेत्र की ज्यादातर कंपनियां कारोबार के नए नियमों को लेकर चिंतित हैं, जिनका अनुपालन उन्हें करना है। इसमें छोटी औद्योगिक इकाइयों पर छूट सीमा 20 लाख से घटाकर 1.5 करोड़ करने का फैसला और सितंबर से केंद्रीय मूल्य वर्धित कर की वापसी को चरणबद्ध तरीके से खत्म किया जाना शामिल है।
उद्योग संगठन लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश मित्तल ने कहा, ‘हम इन नियमों के बारे में सरकार से बातचीत कर रहे हैं, जिन्हें जल्द से जल्द अंतिम रूप दिए जाने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा, ‘खासकर अनुपालन मानक बहुत कड़े हो रहे हैं और इस क्षेत्र का बड़ा हिस्सा पहली बार कर के दायरे में आ रहा है।’
इस समय सरकार ऐसी इकाइयोंं को सूक्ष्म उद्योग मानती है, जिनके संयंत्र व मशीनरी पर 25 लाख रुपये से कम निवेश हुआ हो। लघु और मझोले उद्योगोंं में वे निवेश आते हैं जिनमें क्रमश: 5 करोड़ व 10 करोड़ रुपये का निवेश किया गया हो। स्टॉक ट्रांसफर पर कर लगाए जाने के प्रावधान का एमएसएमई विरोध कर रहे हैं, जिनकी शिकायत है कि इससे कार्यशील पूजी पर असर होगा।