नई दिल्ली। हवाई यात्रियों पर 1 अक्टूबर से दोहरी मार पड़ने जा रही है। एक तरफ जहां सभी विमानन कंपनियां किराये में बढ़ोतरी कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ अब यात्रियों को टिकट रद्द कराने पर रिफंड भी नहीं मिलेगा।
31 मार्च, 2018 से पहले बुक किए गए टिकट पर यात्रियों को रद्द कराने पर किसी तरह का कोई जीएसटी रिफंड नहीं मिलेगा। इसके लिए हवाई कंपनियों ने 31 अगस्त तक की तारीख तय की थी। जीएसटी कानून के तहत भी 30 सितंबर 2018 तक ही एयरलाइन कंपनियों को टिकट रद्द होने की सूरत में लाभ मिलेगा और एक महीने का समय दिया जाएगा।
इसलिए कंपनियों ने 31 अगस्त तक की अंतिम तिथि दी थी। अब अगर आपने 1 अक्टूबर के बाद की यात्रा तिथि तय की है और उसे रद्द करना चाहते हैं, तो यह महंगा हो जाएगा।
किराये में भी होगी बढ़ोतरी
सभी विमानन कंपनियां हवाई ईंधन (एटीएफ) पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी के बढ़ने के बाद किराया बढ़ाने जा रही हैं। इससे आगामी फेस्टिव सीजन में हवाई सफर करने के लिए लोगों को ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी। आपको बता दें कि आगामी महीनों में दशहरा, दिवाली, नवरात्रि, भाई दूज जैसे बड़े त्योहार आने वाले हैं।
ज्यादा सफर करते हैं यात्री
फेस्टिव सीजन में सभी एयरलाइन कंपनियों में यात्रियों की संख्या काफी बढ़ जाती है। लो कॉस्ट एयरलाइन जैसे कि इंडिगो, गो एयर, स्पाइसजेट, एयर एशिया के अलावा जेट एयरवेज, विस्तारा, एयर इंडिया भी किराया बढ़ाने जा रहे हैं।
एटीएफ पर 5 प्रतिशत सीमा शुल्क बढ़ने से विमानन कंपनियों पर नेगेटिव असर पड़ेगा। 10 सितंबर को स्पाइसजेट के चीफ अजय सिंह ने भी संकेत दिया था कि आने वाले कुछ महीनों में किराया बढ़ाया जा सकता है।
परिचालन में आधे से ज्यादा ईंधन का खर्च
सभी एयरलाइन कंपनियों को अपने परिचालन में सबसे ज्यादा पैसा ईंधन पर खर्च करना पड़ता है। यह राशि कुल खर्च होने वाली राशि का 52 से 55 फीसदी के बीच होता है। घाटे से जूझ रही एयरलाइन कंपनियों के लिए एटीएफ पर कस्टम ड्यूटी बढ़ने से झटका लगा है।
प्रत्येक किलोलीटर हवाई ईंधन पर कंपनियां 55-65 हजार रुपये खर्च करती हैं। एटीएफ का दाम भी शहरों के हिसाब से अलग-अलग लगता है।