इश्योरेंस में अब मानसिक बीमारियां भी होंगी कवर

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नई दिल्ली। इंश्योरेंस सेक्टर के नियम-कायदे तय करनेवाली संस्था इंश्योरेंस रेग्युलेटरी ऐंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (इरडा) ने इंश्योरेंस कंपनियों को मानसिक बीमारी (मेंटल इलनेस) को भी मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर करने को कहा है। इरडा ने स्पष्ट किया है कि मानसिक बीमारी को भी शारीरिक बीमारियों की तरह ही माना जाए।

इसे संस्था की ओर से मानसिक बीमारियों से जुड़े मिथकों और हीन भावनाओं को मिटाने की तरफ बढ़ाए गए एक कदम के तौर पर देखा जा रहा है। इरडा ने एक सर्कुलर जारी करके कहा कि इंश्योरेंस कंपनियां को मानसिक बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए जल्द से जल्द मेडिकल इंश्योरेंस का प्रविजन बनाए।

वैश्विक स्तर पर कंपनियां मानसिक बीमारियां 2-3 साल के इंतजार के बाद कवर करती हैं। इरडा मेंटल हेल्थकेयर ऐक्ट 2017 का अनुसरण करता है। इस ऐक्ट के सेक्शन 21 (4) के अनुसार हर इंश्योरेंस कंपनी को शारीरिक बीमारियों की तरह ही मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए मेडिकल इंश्योरेंस के प्रावधान बनाने चाहिए।

मेंटल हेल्थकेयर ऐक्ट 2017 29 मई, 2018 से प्रभावी हुआ था। इसके अनुसार मेंटल हेल्थकेयर में एक व्यक्ति की मानसिक स्थिति का अनैलेसिस और डायग्नोसिस शामिल होता है। साथ ही इसमें उनका इलाज और पुनर्वासन भी जुड़ा होता है।

सिग्ना टीटीके हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी की चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर ज्योति पुनिया कहती हैं कि इससे मानसिक बीमारियों से जूझ रहे लोगों को सम्मानजनक जीवन जीने का मौका मिलेगा। साथी ही उन्होंने कहा कि इससे जागरूकता फैलेगी और मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों को स्वीकृति मिलेगी।