नई दिल्ली। आधार लिंकिंग को लेकर आम आदमी को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने आधार लिकिंग की समयसीमा को फैसला सुनाए जाने तक बढ़ा दिया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि आधार पर फैसला आने तक बैंक अकाउंट और मोबाइल फोन से अनिवार्य आधार लिकिंग की समयसीमा को बढ़ाया जा रहा है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई में 5 जजों वाली संवैधानिक पीठ ने कहा कि सरकार अनिवार्य आधार के लिए जोर नहीं डाल सकती है। गौरतलब है कि बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर से आधार की लिकिंग के लिए 31 मार्च की समयसीमा तय की गई थी। सरकार लगभग सभी जनकल्याणकारी योजनाओं को भी आधार से जोड़ चुकी है।
आधार ऐक्ट की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि कि यूनीक आइडेंटिटी नंबर्स के इस्तेमाल से नागरिक अधिकार समाप्त हो जाएंगे और नागरिकता दासत्व तक सिमट जाएगी। आधार मामले पर यह बहुचर्चित सुनवाई पिछले पांच सालों से चल रही है।
कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और हाई कोर्ट के एक पूर्व जज ने आधार स्कीम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सिकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है।