डिजिटल पेमेंट धोखाधड़ी रोकने के लिए RBI लाएगा रियल टाइम निगरानी प्लेटफॉर्म

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नई दिल्ली। डिजिटल पेमेंट से जुड़ी धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने के लिए रिजर्व बैंक (RBI) की निगरानी और मार्गदर्शन में एक नया प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है। इसे डिजिटल पेमेंट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DPIP) कहा जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, इस पहल के तहत प्रमुख सार्वजनिक और प्राइवेट सेक्टर के बैंकों को शामिल किया गया है। यह प्लेटफॉर्म डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के रूप में विकसित किया जाएगा।

इसका मकसद डिजिटल लेन-देन में होने वाली धोखाधड़ी को रोकना और जोखिम प्रबंधन को बेहतर बनाना है। DPIP के जरिए धोखाधड़ी से जुड़ी जानकारी को रियल टाइम में साझा किया जा सकेगा, जिससे समय रहते फर्जी ट्रांजैक्शन को रोका जा सकेगा।

वित्तीय धोखाधड़ी से निपटने के लिए केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मिलकर एक नया डिजिटल प्लेटफॉर्म शुरू करने की तैयारी में हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस प्लेटफॉर्म की संस्थागत संरचना सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों की मदद से तैयार की जाएगी।

इस महीने की शुरुआत में इस मसले पर एक उच्चस्तरीय बैठक भी हुई थी, जिसमें वरिष्ठ बैंक अधिकारी, आरबीआई के अधिकारी और अन्य संबंधित पक्ष शामिल हुए थे। बैठक का उद्देश्य इस प्लेटफॉर्म की रूपरेखा को अंतिम रूप देना था। सूत्रों के अनुसार, यह मसला सरकार और आरबीआई दोनों की प्राथमिकता में है। ऐसे में उम्मीद है कि यह प्लेटफॉर्म अगले कुछ महीनों में शुरू हो सकता है।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक नया डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार कर रहा है, जिसका मकसद डिजिटल पेमेंट से जुड़ी धोखाधड़ी को रोकना है। इस प्लेटफॉर्म का नाम डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर प्रोडक्ट एग्रीगेशन (DPIP) होगा।

जब यह प्लेटफॉर्म पूरी तरह से काम करने लगेगा, तब यह अलग-अलग स्रोतों से डेटा इकट्ठा करेगा और उसका विश्लेषण करेगा, ताकि किसी भी संभावित खतरे या धोखाधड़ी की पहचान की जा सके। यह प्लेटफॉर्म रियल-टाइम में डेटा साझा करेगा, जिससे फ्रॉड रोका जा सकेगा और लेनदेन को सुरक्षित बनाया जा सकेगा।

DPIP का प्रोटोटाइप रिजर्व बैंक इनोवेशन हब (RBIH) तैयार कर रहा है। इसके लिए RBIH पांच से दस बैंकों के साथ मिलकर काम कर रहा है। इस प्लेटफॉर्म में अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि पेमेंट फ्रॉड पर लगाम लगाई जा सके।

गौरतलब है कि जून 2024 में RBI ने इस डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर एक समिति गठित की थी। इस समिति के अध्यक्ष एनपीसीआई के पूर्व एमडी और सीईओ ए पी होता हैं। समिति को DPIP से जुड़ी तमाम जरूरी बातों की जांच और सिफारिशें देने का जिम्मा सौंपा गया था।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ताजा वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में बैंकों में धोखाधड़ी के मामलों में जोरदार उछाल आया है। इस दौरान फ्रॉड से जुड़ी कुल रकम करीब तीन गुना बढ़कर 36,014 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जबकि पिछले साल यह 12,230 करोड़ रुपये थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (Public Sector Banks) ने इस साल 25,667 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए हैं, जो पिछले साल के 9,254 करोड़ रुपये की तुलना में लगभग तीन गुना है।

आरबीआई का कहना है कि संख्या के लिहाज से सबसे ज्यादा फ्रॉड डिजिटल पेमेंट (कार्ड/इंटरनेट) के जरिए हुए हैं, जबकि रकम के लिहाज से सबसे अधिक धोखाधड़ी लोन यानी एडवांस कैटेगरी में हुई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि निजी क्षेत्र के बैंकों में कार्ड और इंटरनेट से जुड़े फ्रॉड सबसे ज्यादा हुए हैं, वहीं सरकारी बैंकों में धोखाधड़ी के सबसे ज्यादा मामले लोन से जुड़े हुए हैं।