बीमा सेक्टर में 100% विदेशी निवेश की तैयारी, सरकार दे सकती है मंजूरी

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नई दिल्ली। सरकार विदेशी बीमा कंपनियों को अन्य प्रमुख प्रबंधन कर्मियों (केएमपी) के अलावा बोर्ड में बहुसंख्य अनिवासी सदस्यों को नियुक्त करने की अनुमति दे सकती है। दो वरिष्ठ सरकारी अ​धिकारियों ने इस खबर की पु​ष्टि करते हुए कहा कि बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को मौजूदा 74 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी किए जाने के बाद ऐसा किया जाएगा।

यह अमेरिका की सरकार और अमेरिकी बीमा उद्योग की एक प्रमुख मांग रही है। हाल में अमेरिकी व्यापार प्रतिनि​धि (यूएसटीआर) व कोअलिशन ऑफ सर्विसेज इंडस्ट्रीज (सीएसआई) दोनों ने इस मुद्दे को उठाया है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘बीमा विधेयक हमारी ओर से तैयार है और उसे आगामी मॉनसून सत्र में पेश किए जाने की संभावना है। हम निदेशकों की नियुक्ति से संबंधित प्रावधानों को आसान बना रहे हैं। अगर कोई अमेरिकी नागरिक या कोई विदेशी पेशेवर नेतृत्व की भूमिका निभाता है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। विदेशी बीमा कंपनियां पहले से ही बीमा नियामक आईआरडीएआई के जरिये पूरी तरह विनियमित हैं। इन बदलावों के कारण उनके कारोबार अथवा संरचना पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा।’

अधिकारी ने स्पष्ट किया कि इन सुधारों का उद्देश्य विदेशी नियंत्रण के लिए दरवाजे खोलना नहीं ब​ल्कि नेतृत्व की भूमिकाओं में वैश्विक भागीदारी का स्वागत करना है। मगर दूसरे अधिकारी ने कहा कि सरकार का मानना है कि इस अनुमति के बावजूद विदेशी बीमा कंपनियां ऐसे पदों को भरने के लिए अनिवासी भारतीय पेशेवरों पर अधिक निर्भर रहेंगी।

उन्होंने कहा, ‘इस समय अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में कई भारतीय पेशेवर काम कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि उनमें से कुछ वापस लौटकर भारतीय बीमा क्षेत्र में योगदान देंगे। हमारा उद्देश्य भारत में परिचालन करने वाली विदेशी बीमा कंपनियों के लिए निवेशक अनुकूल माहौल तैयार करना है।’

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2026 के अपने बजट भाषण में बीमा क्षेत्र के लिए एफडीआई की सीमा को 100 फीसदी तक बढ़ाने का वादा किया था। बढ़ी हुई सीमा उन कंपनियों के लिए उपलब्ध होगी जो पूरे प्रीमियम का निवेश भारत में ही करती हैं। सीतारमण ने इस संबंध में अ​धिक विवरण दिए बिना कहा था कि, ‘विदेशी निवेश से जुड़ी मौजूदा शर्तों की समीक्षा की जाएगी और उन्हें सरल बनाया जाएगा।’

भारत ने वर्ष2021 में बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी कर दिया था। मगर भारतीय नियंत्रण को जारी रखने के लिए कई सुरक्षा उपाय किए गए थे। उसमें यह भी शामिल था कि बोर्ड के 50 फीसदी सदस्य निवासी भारतीय ही हों और सीईओ या एमडी जैसे प्रमुख प्रबंधन कर्मियों में से कम से कम एक निवासी भारतीय अवश्य होने चाहिए।

केएस लीगल ऐंड एसोसिएट्स की मैनेजिंग पार्टनर सोनम चांदवानी ने कहा, ‘दूरसंचार, सूचना प्रौद्योगिकी और विनिर्माण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति है। कंपनी अधिनियम के अनुसार, कम से कम एक निदेशक भारतीय निवासी होना चाहिए। किसी विदेशी नागरिक को निदेशक या प्रमुख प्रबंधन कर्मी के रूप में नियुक्त करने पर कोई विशेष प्रतिबंध नहीं हैं। अगर नियुक्तियां निर्धारित सीमा से अधिक हैं तो पहले मंजूरी लेनी होगी।’