Trade Deficit: मई में भारत का व्यापार घाटा कम होकर $21.88 अरब पर आया

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नई दिल्ली। May 2025 Trade Deficit: भारत का माल व्यापार घाटा मई 2025 में कम होकर 21.88 अरब डॉलर पर आ गया। यह पिछले साल मई में 22.09 अरब डॉलर और अप्रैल 2025 में 26.42 अरब डॉलर की तुलना में कम है।

वाणिज्य मंत्रालय के अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक, मई में निर्यात 2.2 फीसदी घटकर 38.73 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल मई में 39.59 अरब डॉलर था। वहीं, आयात भी 1.76 फीसदी कम होकर 60.61 अरब डॉलर पर आ गया, जो मई 2024 में 61.68 अरब डॉलर था। अप्रैल में व्यापार घाटा पांच महीने के उच्चतम स्तर 26.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया था, क्योंकि आयात में तेजी आई थी, हालांकि निर्यात में थोड़ी बढ़ोतरी हुई थी।

अप्रैल-मई 2025 में कुल व्यापार पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 5.75 फीसदी बढ़ा। इस दौरान गैर-पेट्रोलियम माल निर्यात में 7.5 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई। इलेक्ट्रॉनिक सामान के निर्यात में मई में 54 फीसदी की शानदार बढ़ोतरी देखी गई। इसके अलावा फार्मास्यूटिकल्स, समुद्री उत्पाद और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। हालांकि, पेट्रोलियम उत्पाद, रत्न-आभूषण और सूती धागे के निर्यात में गिरावट आई।

भारत रणनीति के तहत छह प्रमुख क्षेत्रों पर दे रहा ध्यान
वाणिज्य सचिव सुनील बार्थवाल ने बताया कि भारत अपनी रणनीति के तहत छह प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान दे रहा है, जो वैश्विक आयात का 75 फीसदी हिस्सा हैं। उन्होंने कहा, “हम उन देशों पर फोकस कर रहे हैं, जो वैश्विक आयात का 65 फीसदी से ज्यादा हिस्सा रखते हैं। साथ ही, हम नए बाजारों की तलाश भी कर रहे हैं।” बार्थवाल ने यह भी कहा कि वैश्विक व्यापार की चुनौतीपूर्ण स्थिति और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के अनुमानों के बावजूद भारत का प्रदर्शन वैश्विक औसत से बेहतर है।

वाणिज्य मंत्रालय ने बताया कि वैश्विक पेट्रोलियम कीमतों में उतार-चढ़ाव और हाल की भू-राजनीतिक घटनाओं के कारण कच्चे तेल से जुड़े निर्यात और आयात के मूल्य में कमी आई है। अप्रैल-मई 2025 में रूस, इराक और सऊदी अरब से आयात में साल-दर-साल कमी देखी गई। वहीं, नीदरलैंड, सिंगापुर, यूके, सऊदी अरब और बांग्लादेश को निर्यात भी इस दौरान कम हुआ।

मंत्रालय ने यह भी बताया कि प्राथमिक व्यापार समझौतों का उपयोग बढ़ा है। वित्त वर्ष 2024 में 6.84 लाख प्राथमिक मूल प्रमाणपत्र (सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन) जारी किए गए थे, जो वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 7.20 लाख हो गए। अप्रैल-मई 2025 में 1.32 लाख प्रमाणपत्र जारी किए गए, जो पिछले साल की समान अवधि में 1.20 लाख थे।